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07 फ़रवरी 2011

कितना मुश्किल है

75 टिप्‍पणियां:
खुशी अपने लिए सोचते हैं सब
करते हैं कोशिश
दुसरे की भावनाओं को
ठेस लगाकर , खुद खुश होने की
पर....
किसी की भावनाओं को समझकर
खुद खुश होना ,कितना मुश्किल है

राह चलते , दिख जाते हैं, कई दृश्य ह्रदय विदारक
हर दृश्य पर सोच कर , कुछ करने की तमन्ना
और उस निस्वार्थ तमन्ना को
सोचकर ....
मूर्त रूप देना , कितना मुश्किल है

मुझे समझ ले अपना कोई
ह्रदय में बसाकर दे प्यार और सत्कार
किसी को अपना बनाने की सब सोचते हैं
पर .....
सहज भाव से किसी का हो जाना , कितना मुश्किल है

दुखी दुसरे को देखकर
उसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
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आप सबका ह्रदय से आभार ...आपने मेरी ब्लॉगरीय षटकर्म वाली पोस्ट पर इतनी अच्छी प्रतिक्रियाएं दी ...आपके स्नेह और मार्गदर्शन से यह संभव हो पाया है ...आशा है आप अपना सहयोग यूँ ही बनाये रखेंगे ....!
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29 अक्टूबर 2010

संसार पाया होता

11 टिप्‍पणियां:
तमन्ना ही रही कि उनका पार पाया होता
जो था पलकों के करीब, उसका सार पाया होता ।

सागर है तो शांत है, ना कोई किनारा होगा
बनकर हंस मोती चुनने का किरदार निभाया होता ।

आज चेहरों पर चेहरे लगाये फिरते हैं लोग
जिस्म का नहीं, आत्मा का श्रंगार पाया होता । 


जो भी मिला सबसे है गम देने का गिला
अपना उसे बनाकर, एक मददगार पाया होता । 

जामा इंसानी मिला, पर गुण कितने हैं इसमें
देखकर ज्ञान का आईना, कुछ पारावार पाया होता ।

मिटाने पर तो मिट जाते हैं, निशां - ए - खूं
उसे समर्पित होकर एक नया संसार पाया होता ।

केवल जीने का नाम नहीं है जिन्दगी
मिटाकर हस्ती को गुल-ए-गुलजार पाया होता ।