28 जून 2010

इंतजार था बरसों से

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कल का दिन हिमाचल प्रदेश के लिए खुशियों की सौगात  लेकर आया , यू . पी. ए. अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गाँधी जी द्वारा रोहतांग सुरंग का शिलान्यास कर हिमाचल प्रदेश के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए एक नायाब तोहफे की शुरुआत की। कल का दिन हिमाचल के इतिहास में एक नए स्वर्णिम युग की तरह था । हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री वीरभद्र सिंह तथा हिमाचल के वर्तमान मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल जी भी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने । हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति तथा चंबा जिले का पांगी क्षेत्र भी इस सुरंग के बन जाने से लाभान्वित होंगे । यहाँ के लोगों का पूरे वर्ष शेष विश्व से संपर्क बना रहेगा । सामरिक दृष्टि से भीं इस सुरंग का महत्व बहुत अधिक है . रोहतांग सुरंग की कल्पना का श्रेय बेशक पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी को दिया जाता हो। परन्तु राजीव गाँधी जी को भी इस सुरंग के निर्माण के लिए याद किया जाना चाहिए । इन दोनों ने बेशक इस सुरंग के आधार को तैयार किया था । उससे आगे का पहला कदम बढ़ाने का श्रेय माननीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी जाता है । श्रीमति सोनिया गाँधी जी ने इस अवसर पर इंदिरा और राजीव को तो याद किया ,परन्तु वह अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम लेना भी नहीं भूली । बेशक उन्होंने इसे इंदिरा और राजीव के सपने को पूरा करने की बात कहा ।

वर्तमान सन्दर्भ में इस सुरंग के महत्व को रेखांकित करने का श्रेय चाहे हम किसी को भी दें । परन्तु यह बात काबिलेगौर है की इस सुरंग के बन जाने से लाहौल स्पीति तथा पांगी घाटी में पर्यटन की आपार संभावनाओं को तलाशा जा सकता है । जो आने वाले कल को इस क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक होगा .

22 जून 2010

भोपाल गैस त्रासदी का सच

2 टिप्‍पणियां:

भोपाल गैस त्रासदी पर जिस तरह की प्रतिक्रिया मीडिया तथा आम जनमानस में देखने को मिल रही है , उससे कई तरह के रहस्यों का पर्दा हटता नजर आ रहा है . मीडिया ने जिस तरह से भोपाल गैस पीड़ितों के दर्द की पैरवी  की उससे एक बार फिर मीडिया की जिम्मेवारी का एहसास हुआ, पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने कुछ दफ़न पड़े मामलों को उठाया उससे कई पहलु उभरकर सामने आये , रुचिका ग्रिहोत्रा, जेसिका लाल जैसे मामलों में मीडिया की भूमिका प्रशसंनीय रही है

भोपाल गैस त्रासदी का मुद्दे को जिस तरह मीडिया ने उठाया उससे इस कांड के वांछित अपराधी 'वारेन एंडरसन' के प्रत्यर्पण के मामले को काफी जोर- शोर से उठाया गया, हालाँकि भोपाल गैस पीड़ितों को 15 सौ करोड़ की राशि जारी की गयी वह सरकार का पहला सही कदम कहा जा सकता है , भोपाल गैस त्रासदी पर मंत्रियों का जो समूह विचार -विमर्श कर था उसके परिणाम भी प्रधानमंत्री जी के हस्त्क्षेप के बाद ही सामने आये यह बात भी काबिलेगोर है कि इस तरह की त्रासदी का निर्णय 25 साल के पूरी तरह तो नहीं परन्तु आंशिक रूप से सामने आया , वारेन एंडरसन और उसके साथियों को जितनी जल्दी हो सके सजा दी जानी चाहिए .

भोपाल गैस त्रासदी के अलावा हमारे सामने कई ऐसे मामले हैं जिन पर शीघ्र विचार किया जाना चाहिए , राजनीतिज्ञों को ऐसे मामलोंमें विचारधारात्मक स्वार्थों से उपर उठकर राष्ट्रीय स्तर पर इन मुद्दों को सुलझाने के प्रयास करने चाहिए .

15 जून 2010

कुछ कहने का मतलब

1 टिप्पणी:
आज कल आभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के बारे में सोचना थोड़ा अजीब सा लगता हैपर जैसे-जैसे हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं, वैसे ही हमें अपनी आभिव्यक्ति के बारे में  भी सोचना होगा. कुछ कहने का मतलब यह नहीं कि हम सब कुछ सही कह रहे हैं, आज के परिवेश में सबसे बड़ी बात यह है कि हम कुछ कहने से पहले कुछ सोचने की जरुरत भी नहीं समझते, जो मुंह  में आता है उसे उसी रूप में कह देते हैं. परिणामस्वरूप हमें कई बार अपनी कही गयी बातों  के लिए ही सफाई देनी पड़ती है. इसलिए हम अपने शब्दों की महता को समझेंऔर एक सभ्य समाज के व्यक्ति कहलाने का प्रयास करें.