25 जुलाई 2017

ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...3

17 टिप्‍पणियां:
पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए लाभदायक सिद्ध होगा, और यही तो हम चाहते हैं. गत अंक से आगे...!!!
जहाँ तक ब्लॉग के डिजाईन और लेआउट का सवाल है, वह तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और इनका ख्याल भी किया जाना चाहिए. लेकिन इसमें जरुरी नहीं कि हर दिन कोई न कोई बदलाव किया जाए. बहुत आवश्यक हुआ तो कोई बदलाव किया जा सकता है, वर्ना एक बार जो निश्चित हो जाए, उसी को लेकर आगे बढ़ें तो बहुत बेहतर होता है. इसलिए ब्लॉगिंग करने के लिए ब्लॉग के डिजाईन और लेआउट को लेकर संजीदा रहने की जरुरत है, देखा-देखी में ब्लॉग पर अनावश्यक चीजों को इकठ्ठा करने का मतलब है अपने लेखन को अप्रासंगिक बनाना.
3.   अब क्या लिखा जाए ब्लॉग पर: वैसे सोचा जाये तो यह कोई प्रश्न ही नहीं है कि ब्लॉग पर क्या लिखा जाए? क्योँकि यहाँ एक मत प्रचलित हो गया है कि ब्लॉग पर वह कुछ भी लिखा जा सकता है, जो किसी और माध्यम में प्रकाशित नहीं हो सकता. कहने को आप कुछ भी लिख सकते हैं. किसी की प्रशंसा कर सकते हैं, किसी के लिए आलोचना पूर्ण प्रविष्ठी लिख सकते हैं, किसी के भेद खोल सकते हैं, किसी पर आरोप लगा सकते हैं, या फिर एक दूसरा रास्ता है कि गम्भीर और शोधपूर्ण लेखन भी कर सकते हैं. कीबोर्ड आपके पास है, कुछ भी टाइप करिए और अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कीजिये. लेकिन रुकिये, एक गहरी सांस लीजिये और फिर सोचिये कि जो कुछ मैं लिख रहा हूँ/लिख रही हूँ, उससे किसका क्या मकसद हल हो रहा है? अगर हम इस प्रश्न के उत्तर की तलाश अपने ब्लॉग लेखन से पहले करते हैं तो यकीन मानिए कि हमें कुछ ख़ास लिखने का अभ्यास बेशक नहीं है, लेकिन अगर हम थोडा सा भी सजग हैं तो हम अपने लेखन में वह सुधार कर सकते हैं जो अपेक्षित है. अपने लेखन के माध्यम से उस मुकाम को पा सकते हैं, जो इससे पूर्व किसी ने पाया है.
हमारे लोक जीवन में एक कहावत प्रचलित है, पहले तोलो-फिर बोलो, जब सामान्य संवाद में भी हमें इतना सजग रहने के लिए कहा गया है तो फिर लेखन के लिए तो इससे भी बड़ा मानक हमारे सामने होना चाहिए. क्योँकि जब हम संवाद कर रहे होते हैं तो वहां पर कुछ ही लोग उपस्थित होते हैं, लेकिन जब हम कुछ लिखकर प्रस्तुत करते हैं तो उसका प्रभाव व्यापक तथा दीर्घकालिक होता है. इसलिए लेखन का कार्य तलवार के धार पर चलने जैसा है. ब्लॉग लेखन में तो और भी ज्यादा संजीदगी बरतने की जरुरत है, क्योँकि जब आप कुछ भी लिखकर पोस्ट कर देते हैं तो एकदम पूरी दुनिया के पास पहुँच जाता है, फिर हमारे पास बहुत कम विकल्प होते हैं कि हम अपने उस लिखे को मिटा पायें. इसलिए हम कुछ भी लिखें बहुत सोच समझकर लिखें. हमारा लेखन समाज सापेक्ष होना चाहिए, हम जिस भी विधा या माध्यम में लिख रहे हैं, कोशिश यही हो कि लेखन के क्षेत्र में उच्च मानक हासिल किये जाएँ. हमें यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि हमारा लेखन ही हमारे व्यतित्व का परिचायक है, इसलिए प्रयास हो कि बेहतर, तथ्यपूर्ण और तर्क के साथ निष्कर्षों तक पहुँचने की कोशिश की जानी चाहिए. किसी भी कार्य को करते वक़्त इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि श्रेष्ठता का कोई मानक नहीं होता, श्रेष्ठता अपने आप में एक मानक होता है. हम ब्लॉग पर साहित्य, समाज, संस्कृति, राजनीति, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान आदि दुनिया भर के विषयों पर लिख सकते हैं, लेकिन जरुरी है कि हम जो भी लिखें वह लेखकीय नियमों के अनुकूल हो. तभी हमारे लेखन की सार्थकता है.
4.   पाठकों के साथ संवाद बनायें:  एक पाठक लेखक की रचना को पढ़कर उसे उसकी रचना के विषय में पत्र लिखता है, वह पत्र कितने दिनों बाद लेखक के पास पहुंचता है. लेखक पाठक का पत्र पढ़कर फिर उसे जबाब देता है, हो सकता है यह सिलसिला आगे बढ़ता रहे. लेखक और पाठक व्यतिगत तौर से एक दूसरे को नहीं जानते, लेकिन उसके बीच में रचना रूपी सेतु है, और लेखन रूपी संवेदना, जिसके माध्यम से वह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. रचना को पढ़ने के बाद पाठक की अपनी जिज्ञासाएं हैं, जिनका समाधान वह लेखक से चाहता है, हो सकता है पाठक कई मामलों में लेखक की आलोचना भी करे. लेकिन कोई बात नहीं, लेखक और पाठक के बीच एक संवाद तो कायम हो रहा है न और यही संवाद वह महत्वपूर्ण कड़ी है जो लेखक और पाठक को एक दूसरे से जोड़ती है. मुझे लगता है कि रचनाकार को तो आलोचना के लिए तैयार रहना चाहिए और जिस रचनाकार को बेहतर आलोचक मिल जाता है, उसकी रचनाशीलता उतनी ही बेहतर होती जाती है.    
ब्लॉगिंग की जहाँ तक बात है तो यहाँ पाठक और लेखक का एक तरह से प्रत्यक्ष और त्वरित संवाद हो रहा है. लेखक और पाठक एक दूसरे से संवाद कर रहे हैं. (हिन्दी ब्लॉगिंग के सन्दर्भ में स्थिति थोड़ी अलग सी है, यहाँ ब्लॉगर ही ब्लॉगर से आह और वाह की मुद्रा में संवाद कर रहा है. पाठक अभी तक प्रविष्ठी पढ़कर चुपचाप दृश्य देख रहा है. लेकिन इतना तो तय है कि पाठक पढ़ रहा है, यह एक शुभ संकेत है) सोशल मीडिया के इस दौर में क्रिया और प्रतिक्रिया की गति बहुत तेज है. अभी कोई पोस्ट लिखी और अभी ही पाठक की प्रतिक्रिया भी मिल गयी. लेकिन ऐसे में प्रतिक्रिया का स्तर बहुत निम्न है. ब्लॉगिंग की जहाँ तक बात है, वहां भी कोई ऐसा गम्भीर विमर्श किसी प्रविष्ठी या विषय पर देखने को नहीं मिलता. लेकिन मुझे लगता है कि ब्लॉगिंग आज के दौर में तमाम विषयों को गम्भीरता से पाठकों के समक्ष रखने का एक बेहतर माध्यम हो सकता था. हालाँकि इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि ब्लॉगिंग के माध्यम से लोगों में रचनात्मक चेतना बढ़ी है, लेकिन जिस गम्भीरता की अपेक्षा की जाती है, या जिस स्वतन्त्र अभिव्यक्ति की बात की जाती है, उस तरफ जाना अभी बाकी है. यहाँ पाठकों से संवाद तो हो रहा है लेकिन वह संवाद सतही है, हमें विशुद्ध रूप से रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने मंतव्यों को हासिल करने की तरफ सतत प्रयास करने के जरुरत है. शेष अगले अंक में...!!!                                                    

21 जुलाई 2017

ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...2

10 टिप्‍पणियां:
हम ब्लॉगिंग की दुनिया में है तो, अगर हम कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखेंगे तो हम सार्थक और बेहतर रचनात्मकता के साथ अपनी एक अलग पहचान स्थापित करने में कामयाब होंगे. इसके लिए कुछ जरुरी बातों की इन बिन्दुओं के तहत चर्चा की जा सकती है. गत अंक से आगे...!!!
जब भी कोई ब्लॉगिंग की दुनिया में प्रवेश करता है तो उसके लिए कुछ उपकरण जरुरी हैं. जैसे कम्प्यूटर, लैपटॉप, एक बेहतर इन्टरनेट कनेक्शन (जिसमें डाटा अधिक, सर्फिंग स्पीड तेज और दाम कम). हालाँकि स्मार्टफोन के आने से अब इन चीजों के बारे में अधिक नहीं सोचना पड़ता. बस एक बढ़िया सा फ़ोन खरीदिये और ब्लॉगिंग की दुनिया में प्रवेश कीजिये. इन आवश्यक उपकरणों के बाद जरुरी है कि हम बेहतर सोच के साथ ब्लॉगिंग शुरू करें. ब्लॉगिंग शुरू करने से पहले अगर हम कुछ ब्लॉग पढ़ लें, उन पर लिखे जा रहे विषयों का अध्ययन कर लें, ब्लॉग लिखने और विषय प्रस्तुतीकरण की कुछ जानकारी हासिल कर लें तो बहुत ही बेहतर होगा. इसके साथ ही ब्लॉग पर प्रकाशित प्रविष्ठियों के कंटेंट पर होने वाली बहसों पर थोडा ध्यान दें तो, हम योजनाबद्ध तरीके से ब्लॉगिंग की   दुनिया में प्रबेश कर सकते हैं. हम यह जान सकते हैं कि इस विस्तृत दुनिया में कदम रखने के बाद क्या करना है, और इस पथ पर अग्रसर होने के लिए किन-किन चीजों का ध्यान रखना है. मुझे लगता है कि अधिकतर लोग ऐसा नहीं करते. लेकिन ऐसा करने के अपने मायने हैं. ब्लॉग पर प्रविष्ठी लिखना एक तो थोड़ी सी तकनीकी जानकारी की मांग करता है, वही दूसरी और सर्च इंजन लिखी हुई सामग्री को किस तरह से लोगों तक पहुंचाता है, यह जानना बहुत जरुरी है. अगर हमें थोड़ी सी जानकारियाँ हैं तो हम अपने ब्लॉग को उसी तरह से निर्मित करेंगे और लेखन को प्रारम्भ से उसी दिशा में ले जायेंगे, जो निकट भविष्य में हमारे लिए और पाठकों के लिए सुखद हो. मैं यह ब्लॉग प्रविष्ठियां ब्लॉगिंग की सामान्य जानकारी के दृष्टिकोण से लिखा रहा हूँ. इसलिए इसमें ब्लॉगों का जिक्र कम होगा. किसी और रूप में हिन्दी ब्लॉगों के सन्दर्भ में भी अपनी समझ के हिसाब से चर्चा करने की कोशिश करूँगा.
1.   ब्लॉग प्लेटफॉर्म का चुनाव : अब जब हमने ब्लॉगिंग करने का मन बना लिया है तो क्योँ न झट से ब्लॉग बना लिए जाए. लेकिन प्रश्न यह है कि ऐसा हम कैसे और कहाँ कर सकते हैं. इसके लिए हमारे पास दो रास्ते हैं. एक तो यह कि हम मुफ्त में उपलब्ध प्लेटफॉर्म्स का चुनाव करें और ब्लॉगिंग प्रारम्भ करें. वहीं दूसरी और कुछ ऐसे भी प्लेटफॉर्म्स हैं जिन पर हम शुल्क अदा करके भी ब्लॉगिंग प्रारम्भ कर सकते हैं. मुझे लगता है कि हमें ब्लॉग प्लेटफॉर्म का चुनाव बहुत सावधानी से और अपनी जरूरतों के हिसाब से करना चाहिए. हालाँकि इसके लिए थोडा सा शोध करना होता है, अगर हम थोडा सा शोध करने के बाद किसी ब्लॉग प्लेटफॉर्म का चुनाव करते हैं तो बाद में होने वाली कई असुविधाओं से बच सकते हैं. अन्तर्जाल पर उपलब्ध जो ब्लॉग प्लेटफ़ॉर्म मुफ्त में उपलब्ध हैं उनमें से कुछ निम्न हैं:-

Price
00
00
00
00
00
Custom Domain
XX
XX
XX
XX
XX
Mobile Friendly
XX
Yes
Yes
Yes
Yes
Design
Nearly None
1000+
100+
100+
XX
Plugins
XX
1000+
XX
XX
XX
हालाँकि ब्लॉग प्लेटफॉर्म्स का विश्लेषण और कई मानकों के आधार पर किया जा सकता है. लेकिन हमारे लिए कुछ चीजें जरुरी हैं. जैसे कि कितने डिजाईन उपलब्ध हैं, प्लेटफ़ॉर्म मोबाइल फ्रेंडली है या नहीं, हम कोई डोमेन जोड़ सकते हैं या नहीं आदि. अगर हम इन आधारों को लेकर किसी ब्लॉग प्लेटफ़ॉर्म का चुनाव करते हैं और फिर ब्लॉगिंग प्रारम्भ करते हैं तो निश्चित ही हम ब्लॉगिंग की दुनिया में सफल ब्लॉगर बन सकते हैं और पूरे विश्व में अपनी रचनात्मकता का डंका बजा सकते हैं. इसके आलावा पेड प्लेटफ़ॉर्म की भी अपनी ही विशेषताएं हैं. हम उनका भी चुनाव कर सकते हैं. ब्लॉगिंग के लिए उपलब्ध Paid प्लेटफ़ॉर्म में Ghost, Weebly आदि का नाम लिया जा सकता है, इन प्लेटफॉर्म्स पर हम अपनी सुविधा के हिसाब से कोई भी प्लान चुन सकते हैं और ब्लॉगिंग शुरू कर सकते हैं. तो हमें इस बात पर गौर करना होगा कि बेहतर ब्लॉगिंग के लिए एक बेहतर ब्लॉग प्लेटफ़ॉर्म का चुनाव एक बेहतर भूमिका निभाता है.  
2.   कैसा हो ब्लॉग का डिजाईन: ब्लॉग के डिजाईन के विषय में लिखने लगेंगे तो अनेक प्रविष्ठियां लिखी जा सकती हैं. डिजाईन के इतने पहलू हमारे सामने हैं कि किसी एक पहलू पर भी बहुत कुछ लिखा जा सकता है. लेकिन इस विषय में मेरा यही मानना है कि ब्लॉग का डिजाईन बेशक आकर्षक होना चाहिए, लेकिन वह पाठक की पठनीयता के अनुकूल होना चाहिए. अगर हम रंग का ही चुनाव कर रहे हैं तो आँखों में चुभने वाले रंगों का चुनाव करने से पहले सौ बार सोचा जाना चाहिए. अगर हमारा ब्लॉग लेखन पर आधारित है तो सफ़ेद पृष्ठभूमि पर काले या स्याही रंग के अक्षर बेहतर प्रभाव छोड़ते हैं. इसके आलावा फैशन डिजाईनिंग या रेसिपी के जो ब्लॉग हैं उनका टेम्पलेट हमें अलग से ही चुनना होगा और उसी अनुरूप सामग्री का चुनाव भी करना होगा. ब्लॉग का लेआउट और डिजाईन पाठक को आपका ब्लॉग देखने-पढने के लिए आकर्षित करता है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने ब्लॉग का लेआउट और डिजाईन निर्धारित करते वक़्त बहुत सी चीजों को ध्यान में रखें, ताकि पाठक को किसी भी तरह की कोई असुविधा न हो. अनावश्यक विजेट लगाने से भी परहेज किया जाना चाहिए. कई बार ब्लॉग पर सामग्री कम होती है और विजेट ज्यादा होते हैं. हालाँकि उनका कोई ख़ास मतलब नहीं होता, जो जरुरी विजेट होते हैं, वह लगभग हर प्लेटफ़ॉर्म पर पहले से ही उपलब्ध होते हैं. फिर भी किसी विजेट या प्लगइन इन जरुरत पड़ती है तो उसे प्रयोग किया जा सकता है. ध्यान रहे कि पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए लाभदायक सिद्ध होगा, और यही तो हम चाहते हैं. शेष अगले अंक में...!!!         

20 जुलाई 2017

ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...1

14 टिप्‍पणियां:
ब्लॉगिंग की दुनिया बड़ी रोमांचक है. इसका दायरा कितना बड़ा है उसका अंदाजा लगना मुश्किल है. लेकिन इतना तो हम समझ ही सकते हैं कि जहाँ तक इन्टरनेट और स्मार्टफोन की पहुँच है, वहां तक ब्लॉगिंग आसानी से पहुँच चुकी है. सोशल नेटवर्किंग के इस दौर में अन्तर्जाल पर उपलब्ध हर प्लेटफॉर्म का अपना महत्व है. इसी कड़ी में जब हम ब्लॉग के विषय में सोचते हैं तो हमें लगता है कि अभिव्यक्ति के इस माध्यम का भी अपना विशेष महत्व है. जो व्यक्ति इस माध्यम से जुड़ा है, वह इसकी प्रासंगिकता और महत्व को बहुत बेहतर तरीके से जानता है. आज की दुनिया जिस व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है, उससे यह बात सामने आ रही है कि निकट भविष्य में ‘ऑनलाइन कंटेंट’ की अपनी महता होगी. आज ही हम देख रहे हैं कि किसी भी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हम सबसे पहले ‘सर्च इंजन’ का ही रुख करते हैं. क्योँकि आज के दौर में किसी व्यक्ति के पास न तो इतना धैर्य है कि वह किसी तथ्य और खबर को जानने के लिए इन्तजार करे और पुस्तकालय में जाकर पुस्तकें, अखबारें या पत्रिकाएं खंगाले. वह अपनी जरुरत की सामग्री को सबसे पहले कहीं पर खोजने की कोशिश करता है तो वह है ‘सर्च इंजन’ ही है. भारत में गूगल का प्रचार-प्रसार अधिक होने के कारण, अक्सर लोग अपने काम की जानकारी के लिए गूगल का ही उपयोग करते हैं. जिस ‘कीवर्ड’ के माध्यम से वह सर्च करते हैं उसी के आधार पर उन्हें जो कुछ वहां उपलब्ध होता है, उसी को वह अपनी जानकारी का आधार मानते हैं.
इससे यह बात भी स्पष्ट हो रही है कि आज के दौर में और भविष्य में अंतर्जाल पर उपलब्ध सामग्री की महत्ता और प्रासंगिकता बढ़ेगी. इसके लिए जरुरी है अंतर्जाल पर अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करवाने की. जो जानकारी हमें आज उपलब्ध हो रही है, उसे भी किसी ने (ब्लॉग, वेबसाइट, पोर्टल) आदि के माध्यम से उपलब्ध करवाने का प्रयास किया है. ब्लॉगिंग के माध्यम से भी बेहतर सामग्री अंतर्जाल पर उपलब्ध हुई है. वही ब्लॉगऔर ब्लॉगर  सबसे महत्वपूर्ण साबित हुए हैं, जिन्होंने कुछ मानकों के आधार पर ब्लॉगिंग की है. क्योँकि जब हम कोई प्रविष्ठी प्रकाशित करते हैं उसे कौन-कब और किस अन्दाज में पढ़ रहा है, यह हम पूरे यकीन से नहीं जान पाते. ब्लॉगिंग के विषय में जब सोचना शुरू करता हूँ तो लगता है कि मनुष्य के भीतर की दुनिया का साक्षात्कार, बाह्य जगत से त्वरित गति से किसी माध्यम से हो सकता है तो वह है ‘ब्लॉगिंग’.
हालाँकि अधिकतर लोग अंतर्जाल पर उपलब्ध इस माध्यम का उपयोग कई तरह से कर रहे हैं. कोई साहित्य की रचना जो तरजीह दे रहा है तो, कोई यहाँ अपने मन में उठने वाले भाव को लोगों से सांझा कर रहा है. किसी के लिए यह मंच विश्व में हो रही हलचल की चिन्ता करने का है तो, कोई अपने अतीत में जाकर उसे दुनिया के सामने बड़ी कलात्मकता से प्रस्तुत कर रहा है. कोई स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की विधि सुझा रहा है तो, कोई मधुर आवाज में किसी को बेहतर रचनाएँ प्रस्तुत कर रहा है. ऐसे कई आयाम हैं, जो एक मंच पर विभिन्न तरह से अभिव्यंजित किये जा रहे हैं. इससे एक तरफ तो आर्थिक पहलू जुड़ रहे हैं, वहीँ दूसरी और व्यक्ति को अभिव्यक्ति का बेहतर मंच ब्लॉगिंग के माध्यम से उपलब्ध हुआ है. हालाँकि इस विषय में मैंने इससे पहले लिखी कुछ प्रविष्ठियों में चर्चा करने की कोशिश की है. मैं पिछले सात वर्ष से ब्लॉगिंग से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ हूँ. मैंने सिर्फ ब्लॉगिंग करने के लिए ही इस माध्यम को नहीं अपनाया, बल्कि शोध की दृष्टि से भी हिन्दी ब्लॉगिंग के हर पहलू को बारीकी से जांचने की भी कोशिश की है. हालाँकि उन अनुभवों और पहलूओं पर फिर चर्चा करने की कोशिश करूँगा. लेकिन यहाँ मैं इस बात की तरफ ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि बेहतर ब्लॉगिंग के जो जरुरी बातें हैं उन पर भी चर्चा कर ली जाए. 
हम जीवन में जो कुछ भी करते हैं उसके पीछे हमारा या कोई उद्देश्य होता है, या किसी इच्छा की पूर्ति के लिए हम कुछ करते हैं. हम स्वार्थवश भी ऐसे काम कर जाते हैं, जो निकट भविष्य में कई बार हमारे लिए सुखद होते हैं, या कई बार उनके परिणाम हमें आशा के अनुरूप प्राप्त नहीं होते. फिर भी मेरा मानना है कि मनुष्य जो कुछ भी अपने जीवन में करता है, उसके पीछे उसका कोई न कोई भाव जरुर काम करता है, और उसी भाव के वशीभूत होकर वह अपने किसी कार्य को अंजाम तक पहुँचाने के लिए प्रयासरत रहता है. ब्लॉगिंग के विषय में भी मुझे ऐसा ही लगता है कि इस माध्यम पर भी व्यक्ति उपस्थित है, उसका अपना कोई न कोई उद्देश्य जरुर है और यह सुखद है कि हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया में अब तक जो कुछ भी घटित हुआ है, वह उद्देश्यपूर्ण है, रचनात्मकता की दृष्टि से बेहतर है. फिर भी अगर हम ब्लॉगिंग की दुनिया में है तो, अगर हम कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखेंगे तो हम सार्थक और बेहतर रचनात्मकता के साथ अपनी एक अलग पहचान स्थापित करने में कामयाब होंगे. इसके लिए कुछ जरुरी बातों की इन बिन्दुओं के तहत चर्चा की जा सकती है. शेष अगले अंक में....!