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सृजन मानव जीवन का स्वभाव है . मानव ही नहीं
प्रकृति के कण - कण में सृजन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है . एक चिड़िया जब
अपना घोंसला बनाती है तो उसकी कला अद्भुत होती है . उस पर न तो बारिश का असर होता
है , ना आंधी का और न ही तूफ़ान उस पर कोई असर करता
है . एक मछली पानी को अपना सब कुछ समझती है और एक पक्षी
के लिए हवा में कलाबाजियां करना आसान हो सकता है लेकिन
हमारे लिए वह किसी रोमांच से कम नहीं , किसी
अद्भुत दृश्य से कम नहीं . ईश्वर ने सृष्टि के हर जीव में कोई न कोई ऐसा हुनर
बख्शा है जिसके आधार पर वह विशिष्ट है . उसकी अपनी पहचान है और वह कोई बजूद रखता
है . जहाँ तक मानव जीवन का सम्बन्ध है इसके विषय में तो कहा गया है " मानुष
जन्म दुर्लभ है " ....! क्या सच में ऐसा
है कि यह दुर्लभ जीवन हमें प्राप्त हुआ है और हम खुद को धन्य समझ रहे हैं और इस
जीवन के प्रत्येक पल को कुछ सार्थक करने में लगा रहे हैं . अगर ऐसा नहीं है तो फिर
ऐसा भी कहा गया है " निद्रा ,भोजन , भोग भय, यह सब पशु पुरख सामान " फिर
हमने भिन्नता कहाँ है श्रेष्ठता किस आधार पर है ? अगर हम वही कर्म कर रहे हैं जिनका जिक्र किया गया है तो हममें और
प्रकृति के अन्य जीवों में कोई अंतर नहीं है . हमारी अवस्था उनसे किसी तरह भिन्न
नहीं है बल्कि ऐसी स्थिति में हम उनसे ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं . अगर ऐसा
नहीं होता तो आज इस सुंदर सी सृष्टि का यह स्वरूप किसी भी हालत में नहीं होता , जहाँ आदमी ही आदमी कि शक्ल से डर रहा है, और आदमी ही आदमी को लूट कर अपना घर भर रहा है . जीवन की वास्तविकताएं तो सच्चाईयां कुछ और हैं लेकिन हम
कहीं उसके विपरीत जा रहे हैं , इसलिए तो यह हालात हैं . हमें जीवन के वास्तविक मंतव्यों को समझना जरुरी है और हर
पल सा सही उपयोग करना जरुरी है चाहे हम कोई भी कर्म कर रहे हों और लेखन जैसे कर्म
में तो और भी सजगता बरतने की जरुरत है . इसके की आयाम हैं , कई मंच हैं और उनमें से ब्लॉगिंग भी एक मंच है जहाँ हम अपने विचारों को
दुनिया के लोगों सांझा करते हैं अनेक विधाओं के माध्यम से अनेक आयामों को लेकर , अनेक प्रसंगों का चयन करके ...!
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ब्लॉगिंग रचनात्मक इतिहास में एक नया उपक्रम , एक नयी घटना , एक नया आयाम और एक खुला मंच है
. सर्जक और पाठक के बीच में सीधे संवाद का
माध्यम है . इसकी उपयोगिता निरंतर प्रगति पर है कोई निश्चित बिंदु अभी निर्धारित
करना बेमानी होगी बस हम इसे बढ़ने दें , विस्तृत होने दें फिर कोई निष्कर्ष निकालते हैं . हम सिर्फ इतना करें इसे महसूस करते रहे . खुद को अभिव्यक्त करते रहें और
अभिव्यक्ति और सृजन के नए आयामों को सामने लाते रहें . मेरे लिए ब्लॉगिंग जीवन का
एक अहम् हिस्सा है , और इसकी कोई सीमा नहीं है . जब
इस पटल पर कदम रखा है कोशिश रही है चेतनता से इसके पहलूओं को समझने की . ब्लॉगिंग
ने एक नयी दुनिया दी है मुझे और मेरी दुनिया और जीवन में कई ऐसे महानुभावों का
पदार्पण हुआ है जो इसके बिना संभव नहीं था . एक नया परिवार और रिश्ता कायम हुआ है
. एक अपनापन अनवरत सभी से मिल रहा है और मेरी जिन्दगी हसीं होती जा रही है और ऐसी
स्थिति में मेरी जिम्म्वारियाँ बढती जा रहीं है,क्योँकि जितना - जितना दायरा बढेगा , उतनी - उतनी जिम्मेवारियां भी बढती जायेंगी और जिम्म्वारियों का बखूबी निर्वाह करना ही जीवन की सफलता है . रिश्तों में प्रेम और सोहार्द
बनाये रखना ही जीवन का मंतव्य है . अगर यह सब कुछ हो जाता है तो कुछ नए आयाम इस
जीवन के साथ जुड़ जायेंगे , लेकिन अब कदम दर कदम और सजगता बरतनी होगी . क्योँकि इस बात का तो भान होना ही
चाहिए कि इस दुनिया की रीत ऐसी है जिस पेड़ पर फल लगे होते हैं उसी को ही पत्थर
मारे जाते हैं .
पाठकों के प्रवेश द्वार |
हिंदी ब्लॉगिंग के इस मंच पर मेरी उपस्थिति एक
रोचक घटना है . आज मुझे ब्लॉगिंग करते हुए दो वर्ष से अधिक का समय हो चुका है .
मैंने अभी तक कुल 828 दिन और 19872 घंटे यहाँ बिताये हैं . अगर इन 828 दिनों का औसत
आठ घंटे प्रतिदिन के हिसाब से भी निकला जाये तो भी लगभग 6624 घंटे लगभगपर मैंने बिताये हैं . इस
समय का एक - एक पल उत्साह से भरा रहा है . लेकिन कभी - कभी निराशा भी हाथ लगी है .
फिर भी आपका प्रेम मेरे जीवन की अमूल्य निधि बनी है इसके लिए आपका कृतज्ञ हूँ .
अपनी पहली
पोस्ट से लेकर इस पोस्ट तक मेरी प्रत्येक कोशिश
में आपका उत्साहवर्धन मुझे
यहाँ तक ले आया है , और आशा है कि यह सब आने
वाले समय में भी ऐसा ही रहेगा . हालाँकि दुनिया भर के विषयों को समझने और उनका
विश्लेषण करने की क्षमता मुझे खुदा ने बख्शी है , लेकिन मेरा आलस और व्यस्तताएं उनको आप तक पहुँचने नहीं देती , फिर भी आपकी पोस्ट्स को में निरंतर पढता हूँ और मनन करता हूँ . मैंने
इन दो वर्षों से अधिक के समय में बहुत कम लिखा है लेकिन इतना बड़े विश्वास से कह
सकता हूँ की पढ़ा खूब है . ब्लॉगिंग
को समझा खूब है . निरंतर पोस्ट लिखना मेरे लिए कठिन हो सकता है लेकिन निरंतर पढना मेरे
लिए आनंददायक रहता है . हिंदी ब्लॉगिंग की एक अद्भुत और चिंतनीय प्रवृति है ,टिप्पणी के लिए लिखना और टिप्पणी देने के लिए पढना . यह बड़ा कष्टकारी
होता है कभी - कभी मेरे लिए . टिप्पणी अगर कोई पाठक कर रहा है तो वह उत्साहवर्धन
जरुर करती है , लेकिन हम अपनी पोस्ट को टिप्पणी
के हिसाब से ढालें तो यह बड़ा दुखद है . मैं इस पक्ष में कभी नहीं हूँ अपनी मस्ती
के लिए लिखता हूँ लेकिन लेखन की मर्यादा भी नहीं भूलता हूँ . पूरे विश्वास अनुभव
के साथ कह सकता हूँ कि बेशक आप कम लिखें लेकिन श्रेष्ठ लिखा गया है तो पाठक आपके
पास जरुर आएगा ....! और ऐसा लेखन देश काल और समय की
सीमा से परे होता है , दूसरे शब्दों
में कहें तो उदात भावों के दृष्टिगत किया गया लेखन कालजयी होता है .
आप सबसे विनम्र निवेदन : ब्लॉग में तकनीकी खामियों के
चलते इस ब्लॉग की चार पोस्टें गूगल के काल का ग्रास बन गयीं थीं . बड़ी मुश्किल से
इन्हें प्राप्त किया, लेकिन आपकी महत्वपूर्ण
टिप्पणियाँ मुझे प्राप्त नहीं हो सकीं जो आप सबने बड़े प्रेम से इन पोस्टों पर की
थीं ....इसके लिए आप सबसे क्षमा प्रार्थी हूँ .....बस पोस्टें प्राप्त हो गयीं
इसका संतोष है ....आशा है आप अपना स्नेह और मार्गदर्शन यथावत बनाये रखेंगे ...!