30 सितंबर 2012

मेरा आलस, आपका प्रेम और यह 100

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सृजन मानव जीवन का स्वभाव है . मानव ही नहीं प्रकृति के कण - कण में सृजन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है . एक चिड़िया जब अपना घोंसला बनाती है तो उसकी कला अद्भुत होती है . उस पर न तो बारिश का असर होता है ना आंधी का और न ही तूफ़ान उस पर कोई असर करता है . एक मछली पानी को अपना सब कुछ समझती है और एक पक्षी के लिए हवा में कलाबाजियां करना आसान हो सकता है लेकिन हमारे लिए वह किसी रोमांच से कम नहीं , किसी अद्भुत दृश्य से कम नहीं . ईश्वर ने सृष्टि के हर जीव में कोई न कोई ऐसा हुनर बख्शा है जिसके आधार पर वह विशिष्ट है . उसकी अपनी पहचान है और वह कोई बजूद रखता है . जहाँ तक मानव जीवन का सम्बन्ध है इसके विषय में तो कहा गया है " मानुष जन्म दुर्लभ है " ....! क्या सच में ऐसा है कि यह दुर्लभ जीवन हमें प्राप्त हुआ है और हम खुद को धन्य समझ रहे हैं और इस जीवन के प्रत्येक पल को कुछ सार्थक करने में लगा रहे हैं . अगर ऐसा नहीं है तो फिर ऐसा भी कहा गया है " निद्रा ,भोजन , भोग भययह सब पशु पुरख सामान " फिर हमने भिन्नता कहाँ है श्रेष्ठता किस आधार पर है ? अगर हम वही कर्म कर रहे हैं जिनका जिक्र किया गया है तो हममें और प्रकृति के अन्य जीवों में कोई अंतर नहीं है . हमारी अवस्था उनसे किसी तरह भिन्न नहीं है बल्कि ऐसी स्थिति में हम उनसे ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं . अगर ऐसा नहीं होता तो आज इस सुंदर सी सृष्टि का यह स्वरूप किसी भी हालत में नहीं होता , जहाँ आदमी ही आदमी कि शक्ल से डर रहा हैऔर आदमी ही आदमी को लूट कर अपना घर भर रहा है . जीवन की वास्तविकताएं तो सच्चाईयां कुछ और हैं लेकिन हम कहीं उसके विपरीत जा रहे हैं , इसलिए तो यह हालात हैं . हमें जीवन के वास्तविक मंतव्यों को समझना जरुरी है और हर पल सा सही उपयोग करना जरुरी है चाहे हम कोई भी कर्म कर रहे हों और लेखन जैसे कर्म में तो और भी सजगता बरतने की जरुरत है . इसके की आयाम हैं , कई मंच हैं और उनमें से ब्लॉगिंग भी एक मंच है जहाँ हम अपने विचारों को दुनिया के लोगों सांझा करते हैं अनेक विधाओं के माध्यम से अनेक आयामों को लेकर , अनेक प्रसंगों का चयन करके ...! 

 इन देशों से आये ज्यादा पाठक
ब्लॉगिंग रचनात्मक इतिहास में एक नया उपक्रम एक नयी घटना एक नया आयाम और एक खुला मंच है . सर्जक और पाठक के बीच में सीधे संवाद का माध्यम है . इसकी उपयोगिता निरंतर प्रगति पर है कोई निश्चित बिंदु अभी निर्धारित करना बेमानी होगी बस हम इसे बढ़ने दें विस्तृत होने दें फिर कोई निष्कर्ष निकालते हैं .  हम सिर्फ इतना करें इसे महसूस करते रहे . खुद को अभिव्यक्त करते रहें और अभिव्यक्ति और सृजन के नए आयामों को सामने लाते रहें . मेरे लिए ब्लॉगिंग जीवन का एक अहम् हिस्सा है और इसकी कोई सीमा नहीं है . जब इस पटल पर कदम रखा है कोशिश रही है चेतनता से इसके पहलूओं को समझने की . ब्लॉगिंग ने एक नयी दुनिया दी है मुझे और मेरी दुनिया और जीवन में कई ऐसे महानुभावों का पदार्पण हुआ है जो इसके बिना संभव नहीं था . एक नया परिवार और रिश्ता कायम हुआ है . एक अपनापन अनवरत सभी से मिल रहा है और मेरी जिन्दगी हसीं होती जा रही है और ऐसी स्थिति में मेरी  जिम्म्वारियाँ बढती जा रहीं है,क्योँकि जितना - जितना दायरा बढेगा उतनी - उतनी जिम्मेवारियां भी बढती जायेंगी और जिम्म्वारियों  का बखूबी निर्वाह करना ही जीवन की सफलता है . रिश्तों में प्रेम और सोहार्द बनाये रखना ही जीवन का मंतव्य है . अगर यह सब कुछ हो जाता है तो कुछ नए आयाम इस जीवन के साथ जुड़ जायेंगे लेकिन अब कदम दर कदम और सजगता बरतनी होगी . क्योँकि इस बात का तो भान होना ही चाहिए कि इस दुनिया की रीत ऐसी है जिस पेड़ पर फल लगे होते हैं उसी को ही पत्थर मारे जाते हैं . 

पाठकों के प्रवेश द्वार
हिंदी ब्लॉगिंग के इस मंच पर मेरी उपस्थिति एक रोचक घटना है . आज मुझे ब्लॉगिंग करते हुए दो वर्ष से अधिक का समय हो चुका है . मैंने अभी तक कुल 828 दिन और 19872 घंटे यहाँ बिताये हैं . अगर इन 828 दिनों का औसत आठ घंटे प्रतिदिन के हिसाब से भी निकला जाये तो भी लगभग 6624 घंटे लगभगपर मैंने बिताये हैं  . इस समय का एक - एक पल उत्साह से भरा रहा है . लेकिन कभी - कभी निराशा भी हाथ लगी है . फिर भी आपका प्रेम मेरे जीवन की अमूल्य निधि बनी है इसके लिए आपका कृतज्ञ हूँ . अपनी पहली पोस्ट से लेकर इस पोस्ट तक मेरी प्रत्येक कोशिश में आपका उत्साहवर्धन मुझे यहाँ तक ले आया है , और आशा है कि यह सब आने वाले समय में भी ऐसा ही रहेगा . हालाँकि दुनिया भर के विषयों को समझने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता मुझे खुदा ने बख्शी है , लेकिन मेरा आलस और व्यस्तताएं उनको आप तक पहुँचने नहीं देती , फिर भी आपकी पोस्ट्स को में निरंतर पढता हूँ और मनन करता हूँ . मैंने इन दो वर्षों से अधिक के समय में बहुत कम लिखा है लेकिन इतना बड़े विश्वास से कह सकता हूँ की पढ़ा खूब है . ब्लॉगिंग को समझा खूब है . निरंतर पोस्ट लिखना मेरे लिए कठिन हो सकता है लेकिन निरंतर पढना मेरे लिए आनंददायक रहता है . हिंदी ब्लॉगिंग की एक अद्भुत और चिंतनीय प्रवृति है ,टिप्पणी के लिए लिखना और टिप्पणी देने के लिए पढना . यह बड़ा कष्टकारी होता है कभी - कभी मेरे लिए . टिप्पणी अगर कोई पाठक कर रहा है तो वह उत्साहवर्धन जरुर करती है , लेकिन हम अपनी पोस्ट को टिप्पणी के हिसाब से ढालें तो यह बड़ा दुखद है . मैं इस पक्ष में कभी नहीं हूँ अपनी मस्ती के लिए लिखता हूँ लेकिन लेखन की मर्यादा भी नहीं भूलता हूँ . पूरे विश्वास अनुभव के साथ कह सकता हूँ कि बेशक आप कम लिखें लेकिन श्रेष्ठ लिखा गया है तो पाठक आपके पास जरुर आएगा ....! और ऐसा लेखन देश काल और समय की सीमा से परे होता है दूसरे शब्दों में कहें तो उदात भावों के दृष्टिगत किया गया लेखन कालजयी होता है .

आप सबसे विनम्र निवेदन :  ब्लॉग में तकनीकी खामियों के चलते इस ब्लॉग की चार पोस्टें गूगल के काल का ग्रास बन गयीं थीं . बड़ी मुश्किल से इन्हें प्राप्त किया, लेकिन आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ मुझे प्राप्त नहीं हो सकीं जो आप सबने बड़े प्रेम से इन पोस्टों पर की थीं ....इसके लिए आप सबसे क्षमा प्रार्थी हूँ .....बस पोस्टें प्राप्त हो गयीं इसका संतोष है ....आशा है आप अपना स्नेह और मार्गदर्शन यथावत बनाये रखेंगे ...!

11 सितंबर 2012

मुनासिब सवाल का जबाब

1 टिप्पणी:

सवाल जब किसी से भी पूछा जाये जरुरी नहीं हमें उसका उत्तर भी मिल जाये ,और जिस सवाल का  उत्तर आपको मिल जाये फिर तो आपकी सारी जिज्ञासा ही शांत हो जाये . जिज्ञासा का शांत होना कहीं न कहीं हमारे जीवन में ठहराब देता है . तब तक खोज चल रही है तब तक हम प्रगति कर रहे हैं कुछ न कुछ अर्जित कर रहे हैं . जिसने यह सोच लिया कि उसे सब पता है समझो वह रुक गया वहां से आगे विकास की सम्भावना समाप्त समझो जिसे सीखने और जानने की ललक है उसके लिए हर पल एक नया अनुभव है . हर चीज उसके लिए कुछ न कुछ पाने का साधन है . गारा जीवन में यह दृष्टि और सोच बनी रहती है तो हमारे जीवन का प्रत्येक पल कीमती हो जाता है और हम इतने चेतन हो जाते हैं कि हर पल का लाभ लेना चाहते हैं . बस यही जीवन की सार्थकता है और यही जीवन का मंतव्य है . बहुत पहले किसी शायर की कुछ पंक्तियाँ पढ़ीं थीं :- 

                                       हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती
                                       ना चमकने वाला आफताब होता है .
                                       बुराई कभी ख़राब नहीं होती '
                                       ना समझने वाला ख़राब होता है .
                                       मुनासिब सवाल का जबाब मिलना
 ,
                                       मुबारक है जरुरी नहीं..
                                       सवाल का जबाब ना मिलना भी
                                       एक जबाब होता है .

हर दिन हर पल ऐसे की सवाल हमारे सामने खड़े हो जाते हैं जिनके जबाब हमें ढूंढे नहीं मिलते . कुछ प्रश्न हम खुद पैदा करते हैं . कुछ प्रश्न सदा हमारे साथ जुड़े रहते हैं . कुछ के उत्तर हमें मिलते हैं और कुछ अनुतरित ही रहते हैं . अब हम सीधे ही मुद्दे पर आते हैं . आप सभी से पूछा था मैंने यह सवाल :- 

हिंदी ब्लॉगजगत के उस चर्चित ब्लॉगर का नाम बताएं जो आपकी अच्छी से अच्छी पोस्ट पर भी अपनी प्रतिक्रिया सिर्फ चार अक्षरों तक ही सीमित रखते हैं 

आपकी किसी अच्छी से अच्छी पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया को चार अक्षरों तक सीमित रखने वाले ब्लॉगर का नाम है : रणधीर सिंह सुमन . 

रणधीर सिंह सुमन जी जब भी किसी पोस्ट पर टिप्पणी करते हैं तो अंग्रेजी भाषा के सिर्फ चार अक्षर ही लिखते हैं .......N I C E . खटीमा में जब ब्लॉगर मिलन हुआ था तो मैंने उनसे इस तरह की टिप्पणी के विषय में पूछा थातो उन्होंने कहा था कि ....ब्लॉगजगत कुछ ऐसा है कि कई बार टिप्पणी ही विवाद का विषय बन जाती हैं ,  इसलिए सब तरह से सकारात्मक सोच को बनाये रखने के लिए ....( यह शब्द यानि चार अक्षर (N I C E ) ही काफी है .

आपकी प्रतिक्रिया स्वरूप टिप्पणियाँ मुझे प्राप्त हुई . लेकिन आप सबका जबाब सही उत्तर के आस पास ही घूमता रहा . किसी ने टिप्पणी ही लिख दी तो किसी ने नाम का अंतिम शब्द ही लिख दिया . भावनात्मक रूप से मैं समझ रहा हूँ कि आप जबाब के करीब हैं लेकिन तार्किक रूप से आप जबाब सही नहीं लिख पाए . आप में से किसी का नाम शामिल नहीं कर पा रहा हूँ इसका मुझे खेद है . हालाँकि यहाँ कोई पुरूस्कार नहीं दिया जाना है . लेकिन एक स्वस्थ और वैचारिक धरातल पर हम एक नया वातावरण कायम कर सकते हैं . बस यही प्रयास है .

06 सितंबर 2012

एक चर्चित ब्लॉगर

कोई टिप्पणी नहीं:

जीवन भी क्या है ? एक यक्ष प्रश्न , हम सुलझाने की कोशिश करते हैं और यह उलझता जाता है . हम  एक सिरा पकड़ते हैं और हमारे सामने कई सिरे आ जाते हैं . हम एक इच्छा की पूर्ति के लिए दिन रात मेहनत करते हैं, लेकिन कभी सफलता तो कभी असफलता बस यह क्रम चलता रहता है और सफ़र कटता रहता है . हर किसी की मंशा होती है एक बेहतर जीवन जीने की और हर किसी का ख़्वाब होता है कुछ हट कर करने का कुछ बेहतर करते रहने का कभी हम अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सफल हो जाते हैं तो कभी असफलता हाथ लगती है . लेकिन जीवन है कि आगे बढ़ता रहता है . बस यही सब चलता रहता है इस जीवन में .......मैं भी सोच रहा था कि सप्ताह में कम से कम एक पोस्ट तो डाली जाए लेकिन कभी आलस तो कभी व्यस्तता और कभी स्वास्थ्य का साथ न देना . पिछले कुछ दिनों से यही कुछ हो रहा है शरीर साथ नहीं दे रहा है और हम कुछ लिख नहीं पा रहे हैं . हालाँकि हम सदा नेट पर आपको मिल जायेंगे लेकिन इसे सक्रिय होना नहीं कहते .....बस फिर सोचा आप सबसे एक प्रश्न ही पूछ लिया जाए .....रोचक सा ....जबाब देने वाले को कोई >>>>>>>> दिया जाए ! 

                                        तो आप सबके लिए है यह प्रश्न ?

हिंदी ब्लॉगजगत के उस चर्चित ब्लॉगर का नाम बताएं जो आपकी
 अच्छी से अच्छी पोस्ट पर भी अपनी प्रतिक्रिया सिर्फ चार अक्षरों तक ही सीमित रखते हैं ?
  • आपके पास कल रात दस बजे तक का समय है . 
  • मेल से कोई प्रतिक्रिया स्वीकार नहीं होगी . 
  • सही जबाब देने वाले पहले दो ब्लॉगर का परिचय उनके ब्लॉग लिंक के साथ इसी पोस्ट में अपडेट किया जायेगा .
  • टिप्पणी मोडरेशन सक्षम किया है इसलिए कल देर रात ही आप सबके द्वारा दिए गए उत्तर और परिणाम आप सबके सामने होंगे .