28 जनवरी 2011

जिन्दगी है एक दिन

81 टिप्‍पणियां:

{ बहुत दिन तक ब्लॉग से दूरी बनी रही ....लेकिन जिन्दगी के बारे में सोचना जारी रहा ....फिर जो ख्याल बना उसे शब्दों में बांध दिया इस तरह ......!


क्योँ तमन्ना करते हो
किसी का हक़ दबाने की

क्योँ दुखी होते हो
किसी की तरक्की देखकर
क्या ख्याल पाल रखा है तुमने
जिसे तुम जाहिर करने से कतराते हो
तुम्हारा क्या है ?
जिस पर तुम इतना इतराते हो ।

सोच लो एक दिन किसी वीरानी सी
जगह पर...जाकर
जहाँ तुम्हारे साथ सिर्फ तुम होंगे
और
तुम फिर खुद से पूछना अपने बारे में
एक सवाल...!
शायद वही सवाल
तुम्हारी जिन्दगी का
पहला और आखिरी सवाल होगा ।
तुम्हारे पास उत्तर तो बहुत होंगे
शायद सवाल नहीं ???


तब तुम सोचना
जिन्दगी क्या है, जानने के लिए

मौत से पहले
और जन्म के बाद
हम जो भी करते हैं
बस अपने लिए करते हैं ,
अपनी इच्छाओं से ।

कभी यह नहीं सोचते
मेरे किसी कर्म का क्या प्रभाव
पड़ेगा सामने वाले की जिन्दगी पर
बस यही भूल
हम हर पल करते हैं
पर सच यह है कि.....!

सामने वाला भी हमारा है
हम उसके हैं
उसका हित , हमारा हित
उसकी ख़ुशी , हमारी ख़ुशी


उसका गम, हमारा गम

सिर्फ इसलिए .....!!

क्योंकि यह सच है..कि
जिन्दगी है
एक दिन हमसे भी रूठ जाएगी