व्यक्ति का व्यवहार उसके
जीवन का आधार है, जैसा
व्यवहार हम करते हैं बदले में हम वैसे ही पाते हैं. हमें जीवन में बहुत सी परिस्थितियों
से गुजरना पड़ता है. हमें बहुत से अनुभव वहां से प्राप्त होते हैं, और हमारे जीवन का सफ़र आगे बढ़ता रहता है, लेकिन जीना क्या है? इस बात से हम वाकिफ नहीं रहते. कभी हमारे जीवन में निराशा आती है,
तो कभी आशा, कभी सुख तो कभी दुःख, कभी हार तो कभी जीत, कभी सफलता तो कभी असफलता.
यह क्रम अनवरत रूप से चलता रहता है. लेकिन जीवन यहीं पर खत्म नहीं हो जाता, वह बढ़ता रहता है. साँसों का सफ़र अनवरत रूप से चलता है और हम आगे बढ़ते
रहते हैं, बस यही जीवन है. लेकिन इस जीवन को हर परिस्थिति में कैसे चलाया जाए, हम
अपनी मानसिक स्थिति को किस तरह नियंत्रित कर सकते हैं. यह अगर कुछ बातों को अपनाया
जाए तो एक बेहतर जीवन जिया जा सकता है और फिर जब हम ऐसा कर पाने में सफल हो
जाते हैं तो संसार के लिए हम आदर्श और अनुकरणीय बन जाते है. आखिर आज क्योँ हम कबीर, तुलसी, विवेकानंद, दयानंद
सरस्वती, विद्यासागर ऐसे बहुत से नाम है जिनको हम
याद करते हैं. आखिर हम भी तो उन्हीं में से एक हैं फिर क्या हम भी इस जीवन के बाद
इस संसार में याद किये जायेंगे..यह हमें सोचना पड़ेगा..हम जिस तरह का जीवन
जियेंगे उसी तरह की पहचान हमें मिलेगी और बस वही पहचान इस संसार में हमारी
उपयोगिता का निर्धारण करेगी. व्यवहारिक जीवन में कुछ बातें है अगर हम उन्हें अपना
लें तो एक सुन्दर और अनुकरणीय जीवन जिया जा सकता है....आखिर क्या है वह बातें....आइये बात करते हैं.....!
मुस्कराना:---किसी शायर ने भी क्या खूब लिखा है:--
‘क्या खूब जीना है फूलों
का,
हँसते आते हैं और हँसते
चले जाते हैं’.
एक फूल हर परिस्थिति में
मुस्कराता है. इसी कारण जीवन के प्रत्येक पहलु में उसकी महता है. जीवन का कोई भी
पक्ष ऐसा नहीं जहाँ पर फूल का महत्व न हो और यह सिर्फ इसी कारण है कि फूल हर
परिस्थिति में मुस्कराता है. चाहे प्रकृति का कोई कोप आये या मानव उसे उसके बजूद
से अलग कर दे लेकिन वह अपनी मुस्कराहट हमेशा बिखेरता रहता है. यह सीख इनसान को उस
फूल से लेनी चाहिए. जब भी हमारे चेहरे पर मुस्कराहट होती है तो हम सामने वाले को
आमन्त्रित कर रहे होते है. यह संकेत है इस बात का कि....आइये में तैयार हूँ, आपसे
बात करने के लिए, और
जब हम मुस्कराहट से किसी का अभिवादन करते हैं तो सामने वाले व्यक्ति के मन में
हमारे प्रति सकारात्मक प्रभाव परिलक्षित होता है, और
यही प्रभाव उस व्यक्ति पर हमेशा बना रहता है तो अब सोच लेना है कि हमेशा मुस्कराते
रहना है फूल की तरह.
विनम्रता:---किसी
व्यक्ति का स्वागत करने के लिए सिर्फ मुस्कराना ही काफी नहीं होता. जब हम बात करें
तो हममें विनम्रता भी होनी चाहिए. व्यवहारिक जीवन में विनम्रता का बहुत महत्व है, जो
काम हम अकड़ से नहीं करवा सकते, वही काम हम विनम्रता से हो जाता है. तभी तो कहा
गया है ‘विद्या ददाति विनयं’ हम जीवन में जितना भी ज्ञानार्जन करते हैं वह हमें
विनम्रता देता है तभी तो कहा गया है ‘झुकना इंसान की शान है, अकड़े रहना मुर्दे की पहचान है’, और यह बात
काफी हद तक सटीक भी बैठती है. अगर हम में इनसानियत का भाव है तो हम हमेशा झुके
रहते हैं और सही मायनों में विनम्रता तो वह है जब हम सब कुछ जानते हुए भी सामने
वाले व्यक्ति के साथ विनम्रता से पेश आते हैं. जीवन में विनम्रता का बहुत महत्व है.
अगर हम इसे अपना सके तो.
सहनशीलता:---किसी विचारक ने कहा है ‘सहनशीलता कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति की सूचक है’. अगर इस बात पर गहराई से विचार किया जाए तो हमें
सहनशीलता का महत्व पता चल जाएगा. हम जितना सामाजिक जिम्मेवारियों का निर्वाह करते
हैं, वहां पर कई बार हमारे भावों के विपरीत भी कुछ घट जाता है. लेकिन उस परिस्थिति में हम अपनी
सहनशीलता का परिचय देकर कई बातों को टाल सकते हैं. अगर हममें सहनशीलता नहीं है तो
हम हमेशा क्रोधित रहेंगे और क्रोध का अंत हमेशा पश्चाताप होता है, लेकिन तब पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं होने वाला, क्योंकि तब तक चिड़िया
खेत चुग चुकी होती है. इसलिए जीवन में अगर सहनशीलता है तो हम एक बेहतर जीवन जी
सकते हैं, और सहनशीलता को अपनाने के लिए हमें अहंकार को त्यागना पड़ता है, और जब
हम अहंकार को त्याग देते हैं तो बहुत सी नकारात्मक बातों से बच जाते है. खुद तो
सुखी होते ही हैं औरों के लिए भी सुख का कारण बन जाते हैं.
दया:---‘दया
धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान’ अगर हम इस बात को सोचें तो हमें दया की महता पता चल जायेगी.
दया और करुणा में सूक्ष्म अन्तर है, यानि दया हमारे मन का वह भाव है जिसे हम हर
किसी के लिए रखते हैं, लेकिन
करुणा हममे विशेष परिस्थिति में पैदा होती है. दया को किस धर्म का मूल कहा गया है,
यह सोचना है, और वह धर्म है इनसानियत का. जब हम सिर्फ मानवता के बारे में सोचते
हैं तो हममें दया का भाव प्रत्येक प्राणी के लिए बना रहता है और यही भाव हमें उदार
बनता है. उदारता का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है जीवन में बहुत सारी चीजें घटित
होती हैं, और बहुत कुछ हमारी सोच के प्रतिकूल भी घटित होता है तो हम उदारता का
परिचय देकर उन सारी चीजों के प्रति सकारात्मक बने रह सकते हैं. लेकिन उदारता के
मूल में दया और करुणा का भाव बहुत बड़ी भूमिका निभाता है.
प्रेम:---महात्मा
गाँधी ने कहा है ‘प्रेम विश्व की सर्वोच्च
शक्ति है, और फिर भी सबसे विनम्र’. प्रेम
की महता को समझाते हुए कबीर ने भी कहा है ‘ढाई आखर प्रेम का पढ़े सोई पंडित होय’ या फिर ‘love is GOD’ तो प्रेम परमात्मा है. जीवन में अगर हम प्रेम कर
पाने में सफल हो जाते हैं तो हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं, जीवन का दूसरा नाम अगर प्रेम दिया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
प्रेम को हम जितना कर पाते हैं हमारा जीवन उतना सुन्दर बनता जाता है, लेकिन प्रेम संकीर्ण नहीं होना चाहिए प्रेम उदात होना चाहिए, पूरी
मानवता के लिए पूरी खुदा की इस सृष्टि के लिए फिर तो कोई पराया नहीं रहेगा जब कोई
पराया ही नहीं है तो फिर नफरत किससे? अब जब नफरत ही नहीं है तो हम खुदा हैं इनसान
भगवान् का रूप है. हर जर्रे में हमें यह खुदा नजर आता है तो जीवन प्रेममय हो जाता
है. ऐसा प्रेममय जीवन सिर्फ इनसानों के लिए ही नहीं, बल्कि धरती पर बसने वाले हर
एक बशर के लिए सुखदायी होता है. प्रेम के विषय में जितना लिखा जाए कम है और इसे
जितना किया जाए तब भी कम है. इसलिए इस छोटी सी जिन्दगी
को जीने के लिए हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ेगा और जीवन को सुन्दर बनाते
हुए हम दूसरों के लिए सुख का कारण बन सकते हैं. किसी ने कहा भी है कि:--
‘अपने लिए जिया तो क्या जिया, है जिन्दगी का मकसद औरों के काम आना’
इस बात पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हुए आदरणीय ललित शर्मा जी ने मुझे या
पंक्तियाँ लिख कर भेजी:---
केवल राम है जग में और नही
है कोए,
केवल राम सुमिर बंदे काहे
को दुख होए.
हम औरों के काम तभी आ
पायेंगे जब हम अपने जीवन और कर्म को उस काबिल बना पाएंगे. लिखने को तो और भी
कई विचारणीय बिंदु हो सकते हैं. लेकिन यह मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगते हैं.
इस पोस्ट की पॉडकास्ट आदरणीय अर्चना चावजी की मधुर आवाज में आप मिसफिट: सीधीबात पर सुन सकते हैं. आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा. आदरणीय अर्चना चावजी
और गिरीश बिल्लोरे जी का बहुत आभार, इस तरह के प्रोत्साहन के
लिए........!