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15 जनवरी 2017

वर्ष 2017, सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी...2

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गत अंक से आगे...स्मार्टफोन और इन्टरनेट के संगम ने सूचना को विस्तार देने, उसे त्वरित गति से लोगों तक पहुँचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. आंकड़ों के हिसाब से अगर हम पूरी दुनिया में स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों की संख्या पर नजर दौडाएं तो हमें यह बात आसानी से समझ आती है कि पूरी दुनिया में स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है. सन 2014 में पूरे विश्व में 21.6 प्रतिशत लोग स्मार्टफोन का प्रयोग करते थे. 2015 में 25.3 प्रतिशत और 2016 में 28.3 प्रतिशत लोग पूरे विश्व में स्मार्टफोन का प्रयोग कर रहे हैं. पूरे विश्व में स्मार्टफोन का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या में प्रतिवर्ष 3 से 5 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. विश्लेषकों का अनुमान है कि सन 2020 तक पूरे विश्व में स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों की संख्या लगभग 37 प्रतिशत तक पहुँच जायेगी. एक और जहाँ सन 2017 तक विश्व की 4.77 अरब जनसंख्या के पास मोबाइल फ़ोन पहुँचाने की आशाएं लगायी जा रहीं हैं, वहीं यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल विश्व की कुल कुल आबादी में 2.32 अरब आबादी के पास स्मार्टफोन उपलब्ध होगा. सन 2020 तक पूरे विश्व में स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों की संख्या 2.87 अरब होने का अनुमान है. एक और जहाँ मोबाइल और स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों की संख्या में वृद्धि होने का अनुमान है, वहीं दूसरी और पूरी दुनिया की 54.6 प्रतिशत आबादी तक इन्टरनेट भी पहुँच जाएगा.
इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया किस तरह से सूचना-तकनीक के साधनों के साथ जुड़ रही है, और पूरे विश्व में किस तरह से सूचनाओं का प्रसार करने वाले साधनों का बाजार बढ़ रहा है. साथ ही यह पहलू भी ध्यान देने योग्य है कि सूचना-तकनीक के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने इसे और सस्ता-सरल और उपयोगी बनाने की दिशा में काफी बेहतर काम किया है. पिछली सदी के अन्तिम दशक और इस सदी के लगभग 1.5 दशक ने सूचना-तकनीक के साधनों ने जिस तरह से विकास किया है वह अपने आप में उल्लेखनीय है. इतना ही नहीं इन साधनों ने आम व्यक्ति के बीच में एपीआई एक पैठ कायम की है. व्यक्ति को इन साधनों के बगैर जीवन नीरस सा लगने लगा है. इन्टरनेट और मोबाइल फ़ोन की जुगलबंदी ने सूचना क्रान्ति के पूरे परिदृश्य को बदल कर रख दिया है. इन्टरनेट के आने से मोबाइल फ़ोन की उपयोगिता में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन यह सिर्फ फ़ोन के हार्डवेयर के कारण ही सम्भव नहीं हुआ है, बल्कि यह सब सम्भव हुआ है स्मार्टफोन में प्रयोग होने वाले विभिन्न एप्लीकेशन्स के कारण. आगे बढ़ने से पहले हम इनकी भी हलकी सी चर्चा कर लेते हैं.           
हम इस बात पर चर्चा कर चुके हैं कि इन्टरनेट ने स्मार्टफोन की उपयोगिता को कई गुना बढ़ा दिया है. अब वह सिर्फ सम्पर्क का ही साधन नहीं है, बल्कि अब वह हर उस पहलू में हमारी मदद करता है जिसकी हमें तत्काल आवश्यकता होती है. हमें इस पहलू पर भी गौर करना चाहिए कि स्मार्टफोन के आने से मोबाइल एप्लीकेशन ने किस तरह से सूचनाओं के प्रस्तुतीकरण को बदल दिया है. स्मार्टफोन के आने से मोबाइल एप्लीकेशन्स में भी बेहताशा वृद्धि हुई है. अब हर एक विषय को लेकर मोबाइल एप्प बन रहे हैं. दुनिया में होने वाला कोई भी कार्य ऐसा ऐसा नहीं जिसे मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से न किया जा रहा हो. चाहे आपको हवाई जहाज की टिकट लेनी हो या फिर आपको अपने घर का कोई सामान मंगवाना हो यह सब कुछ आपको अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ही मिलो जाएगा वह भी अनेक विकल्पों के साथ, यहाँ न तो आपको घर से बाहर निकलने की जरुरत है और न ही कोई मोल भाव बस आपको अपनी सुविधा के अनुसार चुनाव करना है, इसलिए आये दिन मोबाइल एप्लीकेशन को बेहतर बनाने की दिशा में कई सारे काम किये जा रहे हैं. वर्तमान में गूगल प्ले स्टोर पर लगभग 22 लाख मोबाइल एप्लीकेशन मौजूद हैं. इसी तरह एप्पल एप्प स्टोर पर भी लगभग 20 लाख मोबाइल एप्प मौजूद हैं. इस तरह अगर हम अभी तक प्रयोग हो रहे मोबाइल एप्लीकेशन का आंकड़ा निकालने की कोशिश करें तो यह बात सामने आती है कि इस समय विभिन्न प्लेटफोर्मों पर लगभग 57 लाख मोबाइल एप्लीकेशन मौजूद हैं और इनकी संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि स्मार्टफोन-इन्टरनेट और मोबाइल एप्लीकेशन के संगम ने सूचना और अभिव्यक्ति की दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है.
इस लेख के शीर्षक और अभी तक जो कुछ कहा गया उसमें आपको शायद कोई तारतम्य नजर नहीं आ रहा हो, लेकिन मेरा प्रयास सिर्फ इस पहलू को समझाने का रहा है कि सिर्फ सोशल मीडिया का प्रयोग करने वालों की ही संख्या में दिन प्रतिदिन की वृद्धि नहीं हो रही है, बल्कि सोशल मीडिया से जुड़े महत्वपूर्ण उपकरणों के विकास की गति भी बड़ी तेज से वृद्धि हो रही है. हमें इस पहलू को कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि यह सब कुछ जो भी हो रहा है इसका अपना एक अर्थशास्त्र भी है, लेकिन उस पहलू पर किसी और तरह से विचार किया जा सकता है, यहाँ सिर्फ इन्टरनेट और उससे जुड़े कुछ खास पहलूओं पर ध्यान देने का प्रयास किया जा रहा है. इस लेख के माध्यम से मेरी कोशिश इस पहलू पर प्रकाश डालने की है कि किस तरह से सूचना तकनीक के विकास ने व्यक्ति और उसकी अभिव्यक्ति को प्रभावित किया है. वर्तमान दौर में पूरे विश्व में सोशल मीडिया के जिन प्लेटफोर्मों ने अभिव्यक्ति की आजादी को ने दिशा देने का प्रयास किया है उनमें वेबसाइट-ब्लॉग-फेसबुक-ट्विटर जैसे माध्यमों का नाम बड़ी शान से लिया जाता है. दूसरे शब्दों में इन्हीं माध्यमों के माध्यम से जो कुछ भी अभिव्यक्त किया जा रहा है उसे हम ‘अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति’ के नाम से अभिहित कर रहे हैं. अब हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि किस तरह से इन्टरनेट-स्मार्टफोन और विभिन्न जाल स्थल किस तरह से व्यक्ति की अभिव्यक्ति को बदल रहे हैं और वह समाज को किस तरह की दिशा दे रहे हैं. शेष अगले अंक में....!!!

01 जनवरी 2017

वर्ष 2017, सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी...1

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पिछले कुछ वर्षों से अंतर्जाल हमारी जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा बन गया है. अंतर्जाल पर उपलब्ध कुछ माध्यम हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों में शामिल हो गए हैं. मेलब्लॉगफेसबुकट्विटरव्हाट्स एप्पइन्स्टाग्राम जैसे ठिकानों ने हमारी दैनिक जीवन की गतिविधियों और क्रियाकलापों को काफी हद तक प्रभावित किया है. इनके अलावा अनेक ऐसी वेबसाइट्स और मोबाइल एप्लीकेशन्स हैं जिनका प्रयोग हम अपनी जरूरतों के अनुसार करते हैं. भारत में जब से इन्टरनेट की शुरुआत (15 अगस्त 1995) हुई हैतब से लेकर आज तक भारत में इन्टरनेट का निरन्तर विस्तार होता चला गया है. सन 1992 में जब वर्ल्ड वाइड वेव (www) अस्तित्व में आया तब भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या शून्य  थी. 1995 में जब भारत में इन्टरनेट की शुरुआत हुई उस समय भारत प्रति सौ व्यक्तियों में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या 0.026 थी,सन 2000 में यह संख्या 0.528 हो गयी. इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि सन 2000 में भारत की कुल आबादी का मात्र 0.5% प्रतिशत आबादी ही इन्टरनेट के सम्पर्क में आई थी. सन 2005 में भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 2.4% थी. 2010 में भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों का प्रतिशत 7.5 था और 2015 में यह 27% प्रतिशत तक पहुँच गया. भारत में 2016 की स्थिति देखें तो कुल जनसंख्या का 34.8% इन्टरनेट का प्रयोग करता है. इन आंकड़ों पर अगर हम गौर करें तो एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या में सन 2010 के बाद एकदम से उछाल आ गया है. इसके कई सारे कारणों में से मोबाइल पर इन्टरनेट की उपलब्धता को सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है. आज भारत में प्रति 100 व्यक्तियों में से 26 व्यक्ति इन्टरनेट का प्रयोग कर रहे हैं.
आम जनता का इन्टरनेट से जुड़ना सूचना-तकनीक की क्रान्ति की सार्थकता का सूचक है. सूचना क्रान्ति के इस दौर में पूरे विश्व का भूगोल बदल सा गया है. सूचना और सूचना की तकनीक ने वैश्विक रूप ले लिया है. इस कारण आम व्यक्ति का झुकाव भी इस माध्यम की तरफ सबसे ज्यादा है. सन 1995 में जहाँ पूरे विश्व की 1% आबादी इन्टरनेट के साथ जुडी थी,वहीँ सन 2016 के आते-आते पूरे विश्व की लगभग 40% आबादी इन्टरनेट से जुड़ चुकी है. देशों के हिसाब से अगर पूरे विश्व में इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं का आकलन करें तो हमें यह आंकड़े मिलते हैं कि Iceland की 100% आबादी इन्टरनेट का प्रयोग करती है. विश्व के छोटे-छोटे देश जिनकी जनसंख्या और क्षेत्रफल बहुत कम है वह इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों में सबसे आगे हैं. सबसे अधिक आबादी वाले देशों के हिसाब से अगर देखा जाए तो चीन की आबादी विश्व में सबसे ज्यादा है और वहां की 52.2% जनसंख्या इन्टरनेट का प्रयोग करती है. आबादी के हिसाब से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर आता है और यहाँ की कुल आबादी में से 34.8% जनता इन्टरनेट का प्रयोग करती है. सबसे आधुनिक और तकनीक के मामले में श्रेष्ठ माने जाने वाले देश अमरीका की 88.5% आबादी इन्टरनेट का प्रयोग करती है. इसके साथ ही यू. के. में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या 92.6% है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इन्टरनेट पूरे विश्व में प्रचलन में है और इसने पूरी दुनिया के भूगोल को बदल कर रख दिया है. जैसे-जैसे समय बीत रहा है इसका तकनीकी रूप से विकास हो रहा हैतथा यह आम जनता की पहुँच में आसानी से पहुँच रहा है. इन्टरनेट के माध्यम से ही हमें अनेक ऐसे तमाम साधन (जैसे वेबसाइटपोर्टलसोशल नेटवर्किंग साइट्समोबाइल एप्लीकेशन्स) उपलब्ध हुए हैंजिन्होंने पूरे विश्व को एक दूसरे से जोड़ने का काम किया है.
इन्टरनेट की बढ़ती उपयोगिता और सोशल सोशल नेटवर्किंग के इस दौर में व्यक्ति जी जिन्दगी में कई तरह के परिवर्तन आये हैं. आज एक सामान्य से इनसान के हाथ में भी स्मार्टफोन है और वह उसी के माध्यम से पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है. अब तो स्थिति यह है कि संवाद-विवाद-समर्थन-विरोध जैसे कम भी वह इन्टरनेट के माध्यम से करने लगा है. आम इनसान के हाथ में स्मार्टफोन का होनासिर्फ सम्पर्क स्थापित करने के साधन तक ही सीमित नहीं हैबल्कि स्मार्टफोन के रूप में उपलब्ध यह छोटी सी डिवाइस उसके सम्पूर्ण क्रियाकलापों का एक जीवन्त दस्तावेज है. इसके माध्यम से वह अपने जीवन के अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को अन्जाम देता है. स्मार्टफोन में इन्टरनेट की उपलब्धता उसकी कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा देती है. इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि इन्टरनेट स्मार्टफोन में आत्मा की तरह कार्य करता है. स्मार्टफोन अगर इन्टरनेट के साथ जुड़ा हुआ है तो वह एक तरह से व्यक्ति का जीवन्त साथी हो जाता है और इसके माध्यम से व्यक्ति उस हर कार्य को अन्जाम दे सकता है जो उसकी तात्कालिक जरुरत हो. इस तरह से हम यह समझ सकते हैं कि वर्तमान दौर में इन्टरनेट और इससे जुड़े हुए अनेक साधन व्यक्ति के जीवन का अहम् हिस्सा हैं और व्यक्ति जितना इन साधनों के साथ जुड़ता चला जाता है उतना ही उसका जीवन सुगम होता चला जाता है. शेष अगले अंक में...!!!