दिल मेरा लूट गये, हँसते-हँसते
पैमाने टूट गये, हँसते-हँसते
पीने का शौक रहा हमें इस कदर
मयखाने छूट गये, हँसते-हँसते
महफ़िल में छाई रही ख़ामोशी
तराने फूट गये, हँसते-हँसते
दूरियाँ मंजूर नहीं मोहब्बत में
दिवाने रूठ गये, हँसते -हँसते
शमा जली ही नहीं रात भर
परवाने झूठ हुए, हँसते-हँसते
bahut khoob
जवाब देंहटाएंshandar kavita
maja aa gaya
haste haste
accha likha raam
kewal ji...aap ne bahut satik likha hn...bhut ghaherayi mn le gaye bat,,,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंvaah..
जवाब देंहटाएंham bhi padh gaye hanste hanste...
वाह,केवल जी.
जवाब देंहटाएंमहफ़िल को लूट लिया आपने,हँसते हँसते.
लाजवाब!
जवाब देंहटाएंसब कुछ कह दिया हँसते-हँसते... शानदार, लाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंसुंदर!!!!बहुत सुंदर रचना,...
जवाब देंहटाएंकई बार अनुरोध के बाद भी आप मेरे पोस्ट पर नही आये.....खेर ये आपकी मर्जी है,
WELCOME to new post--जिन्दगीं--
पर्स मेरा वो लूट ले गए हँसते हँसते
जवाब देंहटाएंकुछ अंडे भी टूट गए थे हँसते हँसते !
मुफ्त की दारु कौन पिलाए मुझको साकी
बिना पर्स मयखाने आया हँसते हँसते !
शुभकामनायें आपको !
अच्छी लगी कविता हँसते हँसते.
जवाब देंहटाएंसुंदर गजल है, काफ़िया ठीक बैठ रहा है।
जवाब देंहटाएंnav varsh kee shubhkaamnaayein ....
जवाब देंहटाएंक्या बात है आप कविता भी लिखते हैं यह तो मैंने आज ही जाना सुंदर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंकेवल जी,
जवाब देंहटाएंचलते-चलते से हंसते-हंसते तक का सफर बड़ा ही शानदार है.. शाबाशी इस गज़ल के लिए और दुआ उस हँसी के लिए जो सदा आप पर बनी रहे!!
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंहंसते हंसते जीवन कट जाए यही दुआ....
हम भी पढ़ कर जा रहे हैं हंसते हंसते
जवाब देंहटाएंशानदार, लाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंजाने क्या सोच कर चेहरे बुझ से गये हँसते हँसते !
जवाब देंहटाएंआँख तो बस यूँ ही भर आई थी हँसते हँसते !
क्या बात है. उम्दा गज़ल. हर शेर पर दाद है.
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंbehad sundar likha hai..
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति, आभार|
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना !
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंVah haste haste ak achhi gazal bn gyee ...badhai ke sath hi abhar
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा हंसते हंसते |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंशम्मा जली ही नहीं रात भर
जवाब देंहटाएंपरवाने झूठ हुए , हँसते - हँसते---
वाह ! जवाब नहीं आपके हँसाने का ...और मर मिटने का केवल ......
"शम्मा जलती रही रात भर
परवाने मिटते रहे हँसते -हँसते !"
अच्छा लिखा है हँसते हँसते ....
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बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंशम्मा जली ही नहीं रात भर
जवाब देंहटाएंपरवाने झूठ हुए , हँसते - हँसते.
--सुंदर रचना.
बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई..
महफ़िल में छाई रही ख़ामोशी
जवाब देंहटाएंतराने फूट गये , हँसते - हँसते
....बहुत खूब! बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
आना तो नही चाह रहा था
जवाब देंहटाएंफिर भी आ गया हूँ चलते चलते
अफ़सोस कि आपको समय नही आने का
फुरसत हो तो चले आईयेगा हँसते हँसते.
इस बार आपने बहुत निराश किया है मुझे केवल भाई. नववर्ष की शुरुआत ऐसी तो नही होनी
चाहिये थी.
पढ़ कर चले हम भी, हँसते हँसते...
जवाब देंहटाएंआनन्द आ गया....
इसको मैने:
शम्मा जली ही नहीं रात भर
परवाने झूठ हुए , हँसते - हँसते
कुछ यूँ पढ़ लिया:
शम्मा जली ही नहीं रात भर
परवाने रुठ गये , हँसते - हँसते
मेरा कमेंट गुम हो गया...हँसते हँसते...
जवाब देंहटाएंअरे कमाल का लिखा है आज तो…
जवाब देंहटाएंअरे कमाल का लिखा है आज तो…
जवाब देंहटाएंशम्मा जली ही नहीं रात भर
जवाब देंहटाएंपरवाने झूठ हुए , हँसते - हँसते
बहुत सुंदर, केवल भाई । आपने तो अब आना जाना ही छोड़ दिया । इसलिए मैं ही आपको याद दिलाने के बहाने ही सही आ गया हूँ.। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । नए वर्ष, की अशेष शुभकामनाएं ।. .
"महफ़िल में छाई रही ख़ामोशी
जवाब देंहटाएंतराने फूट गये , हँसते - हँसते "
विरोधाभास का सुंदर प्रयोग किया है आपने!
बेजोड़ भावाभियक्ति....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना के लिए . बधाई
जवाब देंहटाएंजिंदगी गुजार जाए यूँ ही हंसते हंसते ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप इस जिंदगी का सच लिख गए
जवाब देंहटाएंयूँ ही हसंते हसंते
बेहतरीन अभिव्यक्ती ...
जवाब देंहटाएं