कभी-कभी हमारी जिन्दगी में हमारी सोच के अनुकूल कुछ नहीं होता तो हम
हताश हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में अगर हमें कोई आशा की किरण दिखाई देती है तो वह
है ‘ईश्वर’. लेकिन ईश्वर पर हमारा यकीन उस स्तर का नहीं होता, जिस स्तर का होना
चाहिए. ऐसी स्थिति में मन में कुछ यूं हलचल मचती है....!!!
क्योँ कभी-कभी
यह मन उदास होता है
है तू कण-कण में, क्योँ नहीं अहसास होता है.
तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
क्यों नहीं मेरे मन को यह विश्वास होता है.
है हर तरफ जलवा तेरा, गर तेरे हैं सब
फिर कोई क्योँ पराया, कोई ख़ास होता है.
मुद्दत बाद मिली जिन्दगी, वो भी चंद साँसें
क्योँ तृष्णाओं-लालसाओं का लिवास होता है.
सब कुछ भुलाकर, तेरा अर्पण कर दिया तुझे
हर पल तुझे देखता हूँ, पल-पल अहसास होता है.