15 जुलाई 2011

चाहता हूँ मैं


भीड़ - भाड़ की इस दुनिया से दूर
सुंदर सी नगरी बसाना चाहता हूँ मैं
प्यार और सहयोग हो जहाँ
ऐसा मंच सजाना चाहता हूँ मैं
वैर, ईर्ष्या, नफरत ना हो जहाँ
ऐसा घर बनाना चाहता हूँ मैं  .

मानव - मानवता को समझे
ऐसी दृष्टि बनाना चाहता हूँ मैं
हो जहाँ पूजा इंसान की खुदा समझकर
ऐसे मानव पुजारी बनाना चाहता हूँ मैं
सर जहाँ पर झुके सभी का
ऐसे मंदिर बनाना चाहता हूँ  मैं .

नर - नारी में जो भेद मिटाए
ऐसे शख्श बनाना चाहता हूँ मैं
मानव की कीमत  मानव पहचाने
ऐसे पारखी बनाना चाहता हूँ मैं
मर मिटे जिनके लिए सारा जहाँ
ऐसे किरदार निभाना चाहता हूँ मैं .

अपने लिए नहीं तो ना सही
मानवता के लिए मिट जाना चाहता हूँ मैं
मिटाने पर भी ना मिटे कभी
वो निशान बन जाना चाहता हूँ मैं
हो अगर दुनिया में दूसरा कोई
वो इंसान बन जाना चाहता हूँ मैं .

अपने लिए काँटों की ही सही
सबके लिए फूलों की सेज सजाना चाहता हूँ मैं
विदा होने पर भी ना कभी  विदाई हो
ऐसा मेहमान बन जाना चाहता हूँ मैं
हों चाहे लाख मुसीबतें मेरे पथ में
सबके लिए सुगम पथ बनाना चाहता हूँ मैं .


शांति प्यार की महक फ़ैलाने
सुमनों सा बिछ जाना चाहता हूँ मैं
नफरत को जो प्यार में बदल दे
ऐसा प्रेमी बन जाना चाहता हूँ मैं
तुम " केवल "  एक बार दे दो इजाजत मुझे
बस तुम्हारे लिए ही मिट जाना चाहता हूँ मैं .

मुंबई आतंकी हमले को देखकर मन बहुत दुखी है , हर बार मानव ही मानव को निशाना बना रहा है , मुझे अपने कॉलेज के दिनों में लिखी यह कविता याद आ गयी ...आज यही प्रस्तुत है .......!

59 टिप्‍पणियां:

  1. हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें केवल राम !

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  2. आपके लिए शुभकामनाएँ कि कोई प्यार से देखे ! और हाँ ,मुंबई जैसे हमलों पर हम केवल हाथ बाँधे खड़े हैं !

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  3. सुंदर अभिलाषाए हैं, ईश्वर करे पूरी हों।

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  4. sabhi ko apne mn le raho ho kewalji ...good...

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  5. सुन्दर भावना को लेकर रची गई प्यारी सी रचना के लिए आपको आशीर्वाद!

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  6. आपकी इस चाहत में हम भी शामिल हैं ... शुभकामनाएं

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  7. ईश्वर से कामना करते है आपकी सभी अभिलाषाए पूरी हो ........!

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  8. सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद......|

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  9. बस तुम्हारे लिए ही मिट जाना चाहता हूँ ..

    बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ..शुभकामनाओं के साथ बधाई।

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  10. भीड़ - भाड़ की इस दुनिया से दूर
    सुंदर सी नगरी बसाना चाहता हूँ मैं
    प्यार और सहयोग हो जहाँ
    ऐसा मंच सजाना चाहता हूँ मैं
    वैर, ईर्ष्या, नफरत ना हो जहाँ
    ऐसा घर बनाना चाहता हूँ मैं .
    बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...सुंदर अभिलाषाएँ जरूर पूरे होंगे..शुभकामनायें...

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  11. मानव - मानवता को समझे
    ऐसी दृष्टि बनाना चाहता हूँ मैं
    हो जहाँ पूजा इंसान की खुदा समझकर
    ऐसे मानव पुजारी बनाना चाहता हूँ मैं
    सर जहाँ पर झुके सभी का
    ऐसे मंदिर बनाना चाहता हूँ मैं .

    सुन्दर आकांक्षा से परिपूर्ण सुन्दर रचना....

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  12. आपकी इस चाहत में हम भी शामिल हैं ... शुभकामनाएं

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  13. bahut achhi bhavanaye hai aapki ......shubhkamnayen..

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  14. गर तू इजाजत दो तो--
    इक बार छू के देखूं-
    दो बार छू के देखूं -
    बार-बार ---

    बधाई केवल भाई ||

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  15. Sach sochate hain ap?
    Bhagwan kare ap ki har kamna puri ho.

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  16. भीड़ - भाड़ की इस दुनिया से दूर
    सुंदर सी नगरी बसाना चाहता हूँ मैं
    प्यार और सहयोग हो जहाँ
    ऐसा मंच सजाना चाहता हूँ मैं
    वैर, ईर्ष्या, नफरत ना हो जहाँ
    ऐसा घर बनाना चाहता हूँ मैं .


    आपकी आशा पुष्पित-पल्लवित हो....

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  17. एक सुन्दर चाहत. काश, आपका सोचना सभी संभव हो. आमीन !

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  18. अच्‍छी रचना।
    अच्‍छी उम्‍मीदें।
    आमीन..........

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  19. अपने लिए काँटों की ही सही
    सबके लिए फूलों की सेज सजाना चाहता हूँ मैं
    विदा होने पर भी ना कभी विदाई हो
    ऐसा मेहमान बन जाना चाहता हूँ मैं
    हों चाहे लाख मुसीबतें मेरे पथ में
    सबके लिए सुगम पथ बनाना चाहता हूँ मैं .
    सही है ..तुम्हारी अभिलाषा ..सुंदर रचना ....दिल को मोह गई .

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  20. काश आप जैसी चाह सबकी हो जाये।

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  21. आपकी इन ख्वाइशों में हमें भी शामिल समझें.
    काश इन हमलावरों की भी यही चाह होती.

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  22. खूबसूरत कविता... बेहतरीन ! आपकी अभिलाषा से दुनिया का कल्याण हो सकता है.. ईश्वर करे पूरी हो सब के सब... बहुत सुन्दर

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  23. बहुत सुन्दर और सार्थक ख्वाहिशें..काश ऐसा हो सके..शुभकामनायें !

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  24. बेनामी15/7/11 2:42 pm

    bahut hi sunder vichaar...

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  25. आपकी इन ख्वाइशों में हमें भी शामिल समझिये... ईश्वर आपकी हर एक अभिलाषा पूर्ण करे और साकार हो उस सुन्दर सी नगरी का स्वप्न... हार्दिक शुभकामनायें....

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  26. मानव - मानवता को समझे
    ऐसी दृष्टि बनाना चाहता हूँ मैं
    हो जहाँ पूजा इंसान की खुदा समझकर
    ऐसे मानव पुजारी बनाना चाहता हूँ मैं
    सर जहाँ पर झुके सभी का
    ऐसे मंदिर बनाना चाहता हूँ मैं

    बहुत सुंदर, क्या बात है।

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  27. मानव - मानवता को समझे
    ऐसी दृष्टि बनाना चाहता हूँ मैं
    हो जहाँ पूजा इंसान की खुदा समझकर
    ऐसे मानव पुजारी बनाना चाहता हूँ मैं
    सर जहाँ पर झुके सभी का
    ऐसे मंदिर बनाना चाहता हूँ मैं

    बहुत सुंदर, क्या बात है।

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  28. ये काम नहीं आसां
    कठिन डगर और मुश्किल मंजिल.
    पर आपका हौसला उनसे भी बड़ा हो सकता है.
    आगे बढि़ए हम आपके साथ हैं.

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  29. किस दुनिया की बात कर रहे हो भैया। वो गांव का माहौल अब शायद ही इस दुनिया में मिले॥

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  30. शांति प्यार की महक फ़ैलाने
    सुमनों सा बिछ जाना चाहता हूँ मैं
    नफरत को जो प्यार में बदल दे
    ऐसा प्रेमी बन जाना चाहता हूँ मैं
    तुम " केवल " एक बार दे दो इजाजत मुझे
    बस तुम्हारे लिए ही मिट जाना चाहता हूँ मैं .

    ईश्वर करे आपकी हर तमन्ना पूरी हो!

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  31. आपको गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर और हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट जोधपुर की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.

    आपको गुरु पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनायें..

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  32. आपकी कविता की जितनी प्रशंसा की जाय उतनी कम है क्योंकि समसामयिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है .

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  33. मन तो सभी का दुखी है तुम्हारी ही तरह और सभी अपने अपने मन की किसी ना किसी तरह निकाल ही रहे हैं………………तुमने तो बहुत ही खूबसूरत अभिलाषा की है…………बहुत सुन्दर्………

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  34. बहुत सुन्दर ज़ज्बात . मुंबई हमलों से आज सारा देश दुखी है .

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  35. खुबसूरत भावो को शब्दों में उतारा है आपने....

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  36. बहुत सुदर अभिव्‍यक्ति .. ईश्‍वर आपकी इच्‍छा अवश्‍य पूरी करेगा !!

    जवाब देंहटाएं
  37. प्यारी अभिलाषाए सजाई है आपने रब करे पूरी हो जाये
    शुभकामनाये

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  38. हार्दिक शुभकामनायें
    अभिलाषाए,ईश्वर पूरी करे

    जवाब देंहटाएं
  39. बेनामी16/7/11 10:29 am

    केवल राम जी - ऐसी दुनिया जो आप बनाना चाहते हैं न - वह दुनिया तो " केवल "राम" " ही बना सकते हैं - वे कहते हैं कि जब मेरे भक्त तड़प कर मुझे मदद के लिए पुकारते हैं - मैं आता हूँ | लेकिन अब तो लोग मानते ही नहीं कि वे हैं - कितने लोग ब्लॉग जगत में भी यह "ज्ञान" बाँट रहे हैं कि ईश्वर जैसी कोई वस्तु है ही नहीं |

    तो जब लोग मानते ही नहीं कि वे हैं , जब हम उन्हें बुलाते ही नहीं - तो वे क्यों और कैसे आये मदद के लिए भला ? हमें तो अपने बाहुबल पर इतना भरोसा हो चला है कि हम अपने परम पिता से भी कुछ मांगने में हीनता अनुभव करते हैं ! अक्सर लोग कहते हैं "मैं तो कुछ नहीं मांगता " बड़ी गर्वभावना के साथ - तो वे कैसे मदद करें ? वे तो करना चाहते हैं - किन्तु जब बच्चा एडोलेसेंट होता है - तो उसे अच्छा नहीं लगता जब वो गिरे तो माँ उसे उठाये - वह खुद उठना चाहता है - तो माँ नहीं उठाती - उसे खुद उठने देती है | उसी बच्चे को जब वह छोटा था - माँ हर वक़्त उठाये फिरती थी - तब वह बच्चा "मैं" नहीं था , उसमे अहम् नहीं था , - माँ से लेने में उसे झिझक नहीं थी - तो माँ भी दे पाती थी |

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  40. अपने लिए नहीं तो ना सही
    मानवता के लिए मिट जाना चाहता हूँ मैं
    मिटाने पर भी ना मिटे कभी
    वो निशान बन जाना चाहता हूँ मैं
    हो अगर दुनिया में दूसरा कोई
    वो इंसान बन जाना चाहता हूँ मैं .
    bahut sunder rachna.........bhagwan se prathna karunga ki aapki ye manokamna jarur poori hon.
    badhai sunder aur sarthal rachna ke liye

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  41. सुंदर भावों के साथ सुंदर शब्द...
    काश ऐसा हो जाए....

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  42. बहुत सुन्दर और सार्थक ख्वाहिशें! ईश्वर पूरी करे|

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  43. उत्तम पोस्ट के लिए आभार

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  44. दूसरो के सुख के लिये कुछ करने का जज्बा होना ही एक ईश्वरीय अनुभूति है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  45. आपकी इस चाहत में हम भी शामिल हैं ... शुभकामनाएं

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  46. वाह बड़ी खूबसूरत पंक्तिया ब पड़ी है एक दम सरल और सीधे दिल मे उतरने वाली "केवल" आप ही नही है हम भी चाहते हैं कुछ ऐसा ही

    जवाब देंहटाएं
  47. वाह बड़ी खूबसूरत पंक्तिया ब पड़ी है एक दम सरल और सीधे दिल मे उतरने वाली "केवल" आप ही नही है हम भी चाहते हैं कुछ ऐसा ही

    जवाब देंहटाएं
  48. नर - नारी में जो भेद मिटाए
    ऐसे शख्श बनाना चाहता हूँ मैं
    मानव की कीमत मानव पहचाने
    ऐसे पारखी बनाना चाहता हूँ मैं
    मर मिटे जिनके लिए सारा जहाँ
    ऐसे किरदार निभाना चाहता हूँ मैं...
    बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! बेहद ख़ूबसूरत, भावपूर्ण और लाजवाब रचना लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  49. प्यार और सहयोग हो जहाँ
    ऐसा मंच सजाना चाहता हूँ मैं
    वैर, ईर्ष्या, नफरत ना हो जहाँ
    ऐसा घर बनाना चाहता हूँ मैं .

    ...Soch to kafi acchi hai. kash ki har koi aisa soche.

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  50. ईश्वर से कामना करते है आपकी सभी अभिलाषाए पूरी हो ........!
    शुभकामनायें

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  51. बहुत ही उम्दा व बढ़िया रचना

    way4host

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  52. i wish aapki har ek tamanna poori ho ... maanawataa ka jo swapn aapne dekha hai wo sakar ho ese mere bhi abhilaashaa hai

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  53. main bhi wo shabd khoj lana chahti hu... jinse aapki is rachna ki tareef kar saku...
    bas ek baar in bhavnaaon aur shabdon ke khajane ka pata bata dijiye mujhe...

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  54. kewal ji
    aapki rachna ki sarlta v sahjta lazwab hai .
    bahut hi sundar bhavnayen chhupi hain aapke bhitar tabhi is rachna ka itana sundartam roop nijhra.aapki rachna padhkar mukesh ji ka ek gaana yaad aa gaya----
    main basana chahta hun swarg dharti par
    aadmi jisme rahe bas aadmi bakar---
    bahut bahut aabhar
    poonam

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  55. तुम " केवल " एक बार दे दो इजाजत मुझे
    बस तुम्हारे लिए ही मिट जाना चाहता हूँ मैं .


    किस किस पर मर मिटेंगें केवल भाई आप.

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
    आभार.

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  56. aapkee shakhsiyt ubhar aaee hai jazvato ke sath.....
    aisee duniya banegee bs sab kee soch aisee ho jae.....

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  57. सार्थक रचना | उम्दा प्रस्तुति |

    मेरी नई रचना देखें-

    **मेरी कविता:हिंदी हिन्दुस्तान है**

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  58. बेनामी28/1/12 8:36 pm

    I have the same type of blog myself so I will come back back to read again.

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.