08 सितंबर 2013

ऐसा सिला दिया

उसने बैगाना समझ कर भुला दिया
आज फिर उसकी याद ने रुला दिया

खुशियाँ तो हासिल नहीं हुई हमें उससे
मोहब्बत के बदले गम का सिला दिया

उनकी याद आती है अब हर सांस में
दिल की नगरी में ऐसा गुल खिला दिया 

उतरा नहीं है नशा इश्क का अब  भी
जाम इलाही उसने ऐसा पिला दिया

खेल -खेल में यह पंक्तियाँ आप सबके लिए ....बहुत दिनों से इस रूप में कुछ पोस्ट नहीं किया था यहाँ ....!!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
    :-)

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  2. उनकी याद आती है अब हर सांस में
    दिल की नगरी में ऐसा गुल खिला दिया ...

    बहुत खूब ... सुन्दर शेर हैं गज़ल के ...

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  3. वाह बहुत खूब

    जो कहना चाहते हो वो तुमने हमको समझा दिया :)

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  4. आपकी याद आती रही.....

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.