tag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post5397683809312501080..comments2023-10-20T13:42:57.703+05:30Comments on चलते -चलते...!: अस्तित्वकेवल रामhttp://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-60934133459062166352011-04-01T18:30:56.921+05:302011-04-01T18:30:56.921+05:30जिन्दगी के इस खेल में
अपने- परायों के मेल ,
अजनबी ...जिन्दगी के इस खेल में<br />अपने- परायों के मेल ,<br />अजनबी सा अपनापन<br />कुछ ठहरा सा खालीपन<br />यादों की उलझन .....!<br />सब कुछ सोचने के बाद<br />कुछ पाने -कुछ खोने के बाद<br /> मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।<br /><br />बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.....यथार्थवादी चिंतन...अस्तित्व.........संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-25444841267605761272010-11-25T00:58:45.556+05:302010-11-25T00:58:45.556+05:30'चाँद भी आकाश में
सदा नहीं चमकता '
बहुत ख...'चाँद भी आकाश में<br />सदा नहीं चमकता '<br /><br />बहुत खूब!<br />अच्छी कविता है .'स्व अस्तित्व गाहे बगाहे अपनी याद दिलाता रहता है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-74635003712560102032010-11-12T12:26:19.909+05:302010-11-12T12:26:19.909+05:30bahut achchi lagi.bahut achchi lagi.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-79470851280948103762010-11-10T23:25:22.898+05:302010-11-10T23:25:22.898+05:30जिंदगी सचमुच में खोने पाने का ही नाम है. सुंदर अभि...जिंदगी सचमुच में खोने पाने का ही नाम है. सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.<br />सादर,<br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-28959332155509088482010-11-10T22:47:35.010+05:302010-11-10T22:47:35.010+05:30बहुत ही सुन्दर कविता.बहुत ही सुन्दर कविता.मोहसिनhttps://www.blogger.com/profile/05133114471401092669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-60538241912169828682010-11-10T20:19:12.907+05:302010-11-10T20:19:12.907+05:30अस्तित्व बोध ही बड़ी बात है।अस्तित्व बोध ही बड़ी बात है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-78646925693239641012010-11-10T10:05:45.816+05:302010-11-10T10:05:45.816+05:30जिन्दगी के इस खेल में
अपने- परायों के मेल ,
अजनबी ...जिन्दगी के इस खेल में<br />अपने- परायों के मेल ,<br />अजनबी सा अपनापन<br />कुछ ठहरा सा खालीपन<br />यादों की उलझन .....!<br />सब कुछ सोचने के बाद<br />कुछ पाने -कुछ खोने के बाद<br />मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।<br /><br />जीवन की यही कशमकश हमेशा लिखने को उकसाती है। और भाव शब्द बन कर बह जाते हैं जीवन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-22115218183346289882010-11-10T09:51:03.273+05:302010-11-10T09:51:03.273+05:30बहुत सुन्दर रचना ....बहुत सुन्दर रचना ....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-35819282638439620852010-11-09T16:54:17.094+05:302010-11-09T16:54:17.094+05:30सुन्दर अभिव्यक्ति... इसी को जीवन कहते हैं ...सुन्दर अभिव्यक्ति... इसी को जीवन कहते हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-73617084114830927642010-11-09T00:35:52.314+05:302010-11-09T00:35:52.314+05:30सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ.
=============...सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ.<br />==========================<br />नए दौर में ये इजाफ़ा हुआ है।<br />जो बोरा कभी था लिफ़ाफ़ा हुआ है॥<br />जिन्हें शौक है थूकने - चाटने का<br />वो कहते हैं इससे मुनाफ़ा हुआ है॥<br /> सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी<br />=========================डॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-16584355982244353422010-11-08T18:14:05.206+05:302010-11-08T18:14:05.206+05:30अपने- परायों के मेल ,
अजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा ...अपने- परायों के मेल ,<br />अजनबी सा अपनापन<br />कुछ ठहरा सा खालीपन<br />यादों की उलझन .....!<br />सब कुछ सोचने के बाद<br />कुछ पाने -कुछ खोने के बाद<br />मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।<br />......इसी का नाम जीवन है ... न जाने कितने उतार चढाव से गुजरना पड़ता है ...<br />बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.....कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-63978674205444919062010-11-08T10:54:26.102+05:302010-11-08T10:54:26.102+05:30भैया केवल राम जी,
कई जगह मैंने देखा की टिप्पणियाँ ...भैया केवल राम जी,<br />कई जगह मैंने देखा की टिप्पणियाँ लिखते समय आप शेर को शेयर लिखते हो ,अच्छा नहीं लगता.<br />दोनों शब्द एकदम अलग अलग मतलब वाले हैं.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-11094828224550274012010-11-07T23:36:08.759+05:302010-11-07T23:36:08.759+05:303/10
रचना प्रभावित नहीं करती क्योंकि दिल तक पहुचत...3/10<br /><br />रचना प्रभावित नहीं करती क्योंकि दिल तक पहुचती ही नहीं. चाँद और तारों के साथ जीवन का तादम्य स्थापित करने की चेष्टा सफल नहीं हुयी.उस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-21158835943378520702010-11-07T20:16:14.396+05:302010-11-07T20:16:14.396+05:30आपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाय...आपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें !<br />आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!<br /> बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारिफ़ है! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-21342087363704207552010-11-07T14:13:51.654+05:302010-11-07T14:13:51.654+05:30बहुत सुन्दर कविता और शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति|बहुत सुन्दर कविता और शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-46002173216419846942010-11-07T12:53:59.009+05:302010-11-07T12:53:59.009+05:30बेहद शानदार प्रस्तुति।बेहद शानदार प्रस्तुति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-22492579249191737262010-11-07T10:48:59.091+05:302010-11-07T10:48:59.091+05:30अपने- परायों के मेल ,
अजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा ...अपने- परायों के मेल ,<br />अजनबी सा अपनापन<br />कुछ ठहरा सा खालीपन<br />यादों की उलझन .....!<br />सब कुछ सोचने के बाद<br />कुछ पाने -कुछ खोने के बाद<br />मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।<br /><br />यही तो जिंदगी का खेल है.... सही कहा आपने.... सुंदर अभिव्यक्ति डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-21627786609548057572010-11-07T10:32:39.449+05:302010-11-07T10:32:39.449+05:30बहुत सुन्दर कविता ...बहुत सुन्दर कविता ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-46680802767351823172010-11-07T09:19:57.904+05:302010-11-07T09:19:57.904+05:30बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति..Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-21742665984132462872010-11-07T09:15:58.481+05:302010-11-07T09:15:58.481+05:30बहुत सुंदर और प्रेरक रचना। नाव जल में रहे लेकिन जल...बहुत सुंदर और प्रेरक रचना। नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-57554790529535666562010-11-07T08:49:36.576+05:302010-11-07T08:49:36.576+05:30बहुत सुन्दर कविता और शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति.....बहुत सुन्दर कविता और शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति......honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.com