tag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post5877995046164971428..comments2023-10-20T13:42:57.703+05:30Comments on चलते -चलते...!: कविता का दर्द केवल रामhttp://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comBlogger71125tag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-24189127367458478402011-04-26T17:51:01.753+05:302011-04-26T17:51:01.753+05:30ठीक है।ठीक है।Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-78206134797410951782011-04-17T07:17:20.325+05:302011-04-17T07:17:20.325+05:30priy keval ram ji
aapki kavita padhane ke bad ...priy keval ram ji <br /> aapki kavita padhane ke bad apne ko ak tipaani karne se rok nahin paya .rachana ki sarthakata uski maulikata par aadharit hoti hai ,jisko aapne puri siddat ke sath sanjoya hai . bahut sunder kavy -shilp . badhayi .udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-13384285953806519402011-04-16T10:30:11.750+05:302011-04-16T10:30:11.750+05:30कविता वाही होती है जिसमें अंतर्मन छलक कर बाहर आता ...कविता वाही होती है जिसमें अंतर्मन छलक कर बाहर आता है,आज की व्यावसायिक-युग में जो कविता बाज़ार का हिस्सा हो गयी है,उसे कविता तो नहीं कह सकते !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-59287291365398150922011-04-14T14:36:05.464+05:302011-04-14T14:36:05.464+05:30बस इतना कह कर कविता मौन है ..kavita ki vyatha dil ...बस इतना कह कर कविता मौन है ..kavita ki vyatha dil ko vyathit kar gayee....usske moun ki chitkar ko sunana jaroori hai...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-77135148033545747412011-04-13T11:48:13.807+05:302011-04-13T11:48:13.807+05:30फिर कविता ने मुझसे कहा
तुम मत करना कभी
जीवन की वास...फिर कविता ने मुझसे कहा<br />तुम मत करना कभी<br />जीवन की वास्तविकताओं से समझौता<br />बस खुद को बनाये रखना इंसान<br />तभी तुम बचा पाओगे मेरा ओर मेरे समाज का ईमान<br />बस इतना कह कर कविता मौन है ....!<br /><br />कविता ने कह दिया जो कहना था ..अब कवि के मुखर होने का इंतज़ार कर रही है ..बहुत सार्थक प्रस्तुति ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-11363261569068503842011-04-13T10:51:18.041+05:302011-04-13T10:51:18.041+05:30bahut acchaa kewal ji.kavita khud hi kayi prashn k...bahut acchaa kewal ji.kavita khud hi kayi prashn karti hai hamse.Meri kavitayein to kbhi kabhi vidroh bhi kar deti hain...<br />aapko padhna accha lagta hai....likhte rahiye.Vijuy Ronjanhttps://www.blogger.com/profile/05204504837179424572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-63407083266267777402011-04-11T23:33:14.203+05:302011-04-11T23:33:14.203+05:30खूब कविता का दर्द उकेरा है आपने.खूब कविता का दर्द उकेरा है आपने.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-87454646202742217132011-04-10T20:42:28.811+05:302011-04-10T20:42:28.811+05:30कविता की चुप भी दहाड़ से कम नहीं.कविता की चुप भी दहाड़ से कम नहीं.राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-67678175432311606632011-04-10T08:38:06.915+05:302011-04-10T08:38:06.915+05:30भूल गयी वो राम की मर्यादा
कहाँ गया वो संतों का जीव...भूल गयी वो राम की मर्यादा<br />कहाँ गया वो संतों का जीवन सादा<br />रह गयी मात्र शब्दों की पंक्ति<br />गांधी की 'सत्य और आहिंसा' <br /><br />बहुत सुन्दर लगी आपकी कविता- सुंदर, सटीक और सधी हुई।<br />मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!तारीफ़ के लिए....केवलराम जीसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-69413237167386866872011-04-10T08:33:12.896+05:302011-04-10T08:33:12.896+05:30केवलराम जी
इतने उलझे प्रश्न ???
इतनी उलझी समस्याए...केवलराम जी <br />इतने उलझे प्रश्न ???<br />इतनी उलझी समस्याएँ<br />आज के चमक के इस बाज़ार से<br />उस कविता में समाई थी<br />मैं थोड़ी देर.... उस कविता को निहारता रहा<br />बड़ी मुश्किल से<br />परिचय मैंने उस कविता का जाना ....!<br />...........बहुत सुन्दर <br />सार्थक सन्देश देती...........कवितासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-68997204586864977892011-04-09T21:31:42.365+05:302011-04-09T21:31:42.365+05:30कविता की पीड़ा भाव विह्वल कर गयी . .सुँदर रचना .कविता की पीड़ा भाव विह्वल कर गयी . .सुँदर रचना .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-74310338921523778282011-04-09T21:05:00.907+05:302011-04-09T21:05:00.907+05:30aap jab apni asmita ka sauda nahi kar paye to aap ...aap jab apni asmita ka sauda nahi kar paye to aap jaise aneko kavi hain jo kabhi bhi sauda nahi karenge....vishwas rakhiye.ham aapke sath hain.<br /><br />bahut bahut shaandar, prabhavshali prastuti.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-220764660612226532011-04-09T13:01:21.358+05:302011-04-09T13:01:21.358+05:30इतने उलझे प्रश्न ???
इतनी उलझी समस्याएँ
आज के चमक ...इतने उलझे प्रश्न ???<br />इतनी उलझी समस्याएँ<br />आज के चमक के इस बाज़ार से<br />उस कविता में समाई थी<br />मैं थोड़ी देर.... उस कविता को निहारता रहा<br />बड़ी मुश्किल से<br />परिचय मैंने उस कविता का जाना ....!<br />बस उसी क्षण<br />उसने रुन्धते स्वर में<br />क .....ह ....ना ...शुरू किया<br />बहुत सुंदर कविता भाई केवल राम जी बधाई |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-39168631003105195762011-04-09T13:01:20.098+05:302011-04-09T13:01:20.098+05:30इतने उलझे प्रश्न ???
इतनी उलझी समस्याएँ
आज के चमक ...इतने उलझे प्रश्न ???<br />इतनी उलझी समस्याएँ<br />आज के चमक के इस बाज़ार से<br />उस कविता में समाई थी<br />मैं थोड़ी देर.... उस कविता को निहारता रहा<br />बड़ी मुश्किल से<br />परिचय मैंने उस कविता का जाना ....!<br />बस उसी क्षण<br />उसने रुन्धते स्वर में<br />क .....ह ....ना ...शुरू किया<br />बहुत सुंदर कविता भाई केवल राम जी बधाई |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-43483184207684082722011-04-09T12:51:58.515+05:302011-04-09T12:51:58.515+05:30कविता का दर्द और आपके शब्द एकाकार होकर एक ऐसा चित्...कविता का दर्द और आपके शब्द एकाकार होकर एक ऐसा चित्र खींच रहे है कि देखकर दर्द हो रहा है ..बहुत प्रभावी रचनाAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-90543406937263467882011-04-08T16:59:09.837+05:302011-04-08T16:59:09.837+05:30फिर कविता ने मुझसे कहा
तुम मत करना कभी
जीवन की वास...फिर कविता ने मुझसे कहा<br />तुम मत करना कभी<br />जीवन की वास्तविकताओं से समझौता<br />बस खुद को बनाये रखना इंसान<br />तभी तुम बचा पाओगे मेरा ओर मेरे समाज का ईमान<br />बस इतना कह कर कविता मौन है ....!<br /><br /><br />lekin samaj ko jaga rahi hai.मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-2320686380467600112011-04-07T15:05:14.146+05:302011-04-07T15:05:14.146+05:30कौन करेगा सतर्क , इस समाज को
जहां ...!
नंगे बदन क...कौन करेगा सतर्क , इस समाज को<br />जहां ...!<br />नंगे बदन की नुमाइश लगी है<br />स्वर्ग की परियों के तन पर<br />कपडा सिकुड़ता जा रहा है<br />अंधी श्रद्धा के नाद पर<br />भक्त झूमता जा रहा है<br />..<br />..<br />केवल जी चाँद पंक्तियाँ पढ़ कर ही पता चल गया कि आप जुगाडू कवी नही हो...अब आपके दर्शन आपके दर्शन के लिया आता रहूँगा धन्यवाद बंधुवर !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-80652617839751919742011-04-07T12:36:04.208+05:302011-04-07T12:36:04.208+05:30keval ji,
bahut sunder hai rachna ...
katu satya h...keval ji,<br />bahut sunder hai rachna ...<br />katu satya hai.....Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-24243339659306123222011-04-07T08:08:20.498+05:302011-04-07T08:08:20.498+05:30कवि था कभी
समाज का दर्पण
थी कविता समाज की पूंजी
वह...कवि था कभी<br />समाज का दर्पण<br />थी कविता समाज की पूंजी<br />वही कवि आज पुरस्कार की होड़ में<br />छदम नेता की चाटुकारिता में<br />मुझे माध्यम बनाकर<br />क्षतिग्रस्त कर रहा है , मेरी अस्मिता को<br /><br />वाह आज तो कविता के दर्द को बखूबी बयां किया है आपने. बहुत ही बढ़ीया लगी यह सोच. सोच में बदलाव आना जरूरी है.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-7829911213067507082011-04-07T06:40:18.117+05:302011-04-07T06:40:18.117+05:30वहुत ही सुंदर प्रस्तुति। कविता तो कविता ही रहेगी -...वहुत ही सुंदर प्रस्तुति। कविता तो कविता ही रहेगी -यह तो हम हैं जो उसे हर रूप में शोषित करते रहते हैं।कोई न को बहाना बना कर।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-31966587788488239622011-04-06T22:31:59.997+05:302011-04-06T22:31:59.997+05:30bahut khoob...kya likhate ho yar tumbahut khoob...kya likhate ho yar tumAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-16851608544581271142011-04-06T21:39:56.430+05:302011-04-06T21:39:56.430+05:30कर ली है उसने भौतिक तरक्की लेकिम फिर भी नहीं आत्मि...कर ली है उसने भौतिक तरक्की लेकिम फिर भी नहीं आत्मिक शांति बहुत खूब .......................तरुण भारतीयhttps://www.blogger.com/profile/06484935775975350578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-70001685861737628102011-04-06T21:05:39.584+05:302011-04-06T21:05:39.584+05:30फिर कविता ने मुझसे कहा
तुम मत करना कभी
जीवन की वास...फिर कविता ने मुझसे कहा<br />तुम मत करना कभी<br />जीवन की वास्तविकताओं से समझौता<br />बस खुद को बनाये रखना इंसान<br />तभी तुम बचा पाओगे मेरा ओर मेरे समाज का ईमान<br /> bahut khub sundarAREEBAhttps://www.blogger.com/profile/05789497866722978539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-31870776538996410452011-04-06T20:02:31.047+05:302011-04-06T20:02:31.047+05:30फिर कविता ने मुझसे कहा
तुम मत करना कभी
जीवन की वास...फिर कविता ने मुझसे कहा<br />तुम मत करना कभी<br />जीवन की वास्तविकताओं से समझौता<br />बस खुद को बनाये रखना इंसान<br />तभी तुम बचा पाओगे मेरा ओर मेरे समाज का ईमान<br /><br />कविता इसी तरह हमें सजग करती रहे।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-83354554151489189012011-04-06T18:28:16.175+05:302011-04-06T18:28:16.175+05:30अब थोथा लगने लगा है
"सत्यमेव जयते "
टूट...अब थोथा लगने लगा है<br />"सत्यमेव जयते " <br />टूट गए हैं ईमान<br />बहुत नीचे गिर चुका है इन्सान ..!<br />कर ली है उसने बहुत भौतिक तरक्की<br />लेकिन फिर भी नहीं है आत्मिक शांति<br />बहुत वीभत्स हो गया है संसार<br />क्या कहूँ ...?<br />यहाँ है सब ओर हाहाकार ...<br /><br /><br />फिर कविता ने मुझसे कहा<br />तुम मत करना कभी<br />जीवन की वास्तविकताओं से समझौता<br />बस खुद को बनाये रखना इंसान<br />तभी तुम बचा पाओगे मेरा ओर मेरे समाज का ईमान<br />बस इतना कह कर कविता मौन है ....!<br />behtrin rachna ,har cheej ke do pahloo hote hai aur shayad iske bhi hai .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.com