tag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post1494975044969704950..comments2023-10-20T13:42:57.703+05:30Comments on चलते -चलते...!: रावण को क्योँ जलाते हैं, जब हम राम नहीं हो पाते हैं ..!केवल रामhttp://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-81731254915730937212011-10-06T12:50:58.345+05:302011-10-06T12:50:58.345+05:30भैया जी सप्रेम अभिवादन ..
आपका यह लेख नव भारत - सु...भैया जी सप्रेम अभिवादन ..<br />आपका यह लेख नव भारत - सुरुचि पर प्रकाशित किया गया है ...आप का लेख प्रशंसनीय है ...<br />सादर <br />लक्ष्मी नारायण लहरे <br />युवा साहित्यकार ,पत्रकार <br />कोसीर ,छत्तीसगढ़LAXMI NARAYAN LAHAREhttps://www.blogger.com/profile/10139994765504896386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-70176813042060263682011-03-10T21:23:47.011+05:302011-03-10T21:23:47.011+05:30रावण को बुराइयों का प्रतीक मान कर हर वर्ष उसे जला ...रावण को बुराइयों का प्रतीक मान कर हर वर्ष उसे जला कर उसे सजा देने का जो रिवाज हमारे समाज में है मै अवश्य उसकी प्रशंशा करता यदि ये लोग मौहम्मद गौरी,महमूद गजनबी,तैमूर लंग,औरंगजेब,general डायर,व् उन जैसे अश्न्ख्य मानवता के दुश्मनों को ऐसे हर वर्ष गली चोराहों पर जलाते,पता नहीं किस लकीर को पिटे जा रहे है ---एक तरफ तो रावन को वेदों का ज्ञाता batate hai vah पराक्रमी था --मगर अहंकारी भी था ....क्या पूरी मानव सभ्यता में रावण ही एक मात्र अहंकारी था? क्या सीता माता के साथ रावण के अतिरिक्त किसी ओर ने अन्याय नहीं किया था ---खुद उसके पति राम जो बाद में राजा राम हो जाता है जनता का ख्याल करते हुए उसे गृह त्याग,अग्नि परीक्षा जैसे अमानवीय व्यवहार से नहीं निकलना पड़ता है....अहंकार तो राम में भी था ओर अच्छाइयां तो रावण में भी थी / जब किसी एतिहासिक या काल्पनिक, पौराणिक या साहित्यिक कथा के पात्रों के माध्यम से हम प्रतीक रूपों में मानवता के लिए आदर्श खोजते हैं तो फिर भेदभाव नहीं करना चाहिए चाहेवह रावण हो ya इन्द्र/ विश्लेष्ण न्यायिक आधार पर ओर निरपेक्षता पूर्ण होना चाहिए ...विवेक पर आधारित होनी चाहिए सदियों से चली आ रही है इस लिए ही नहीं मान लेना चाहिए ...परम्पराए ओर रिवाज़ बदलने चाहिए अगर हम में हिम्मत है उसे बदलने की ---राम या रावण का विश्लेष्ण करने से पूर्व सीता के साथ न्याय भी करना जरुरी है धर्म या अधर्म की परिभाषा गड़ना इतना जरुरी नहीं .अभिन्नhttps://www.blogger.com/profile/06944616806062137325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-32252874557536853472011-01-21T17:17:07.955+05:302011-01-21T17:17:07.955+05:30शीर्षक बहुत ही प्रभावशाली है...शीर्षक बहुत ही प्रभावशाली है...pragyahttps://www.blogger.com/profile/04688591710560146525noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-60999509648590156512011-01-21T17:16:33.000+05:302011-01-21T17:16:33.000+05:30बिल्कुल सही कहा आपने...हम सब अपने आप में कहीं न कह...बिल्कुल सही कहा आपने...हम सब अपने आप में कहीं न कहीं अहंकारी हो जाते हैं और कई बार तो इस अहंकार में रावण को जलाते हैं कि देखो हम वह कर रहे हैं जो कभी राम ने किया था, पर कभी अपने भीतर झाँककर यह नहीं देखते कि क्या वास्तव में हम वह कर रहे हैं जो राम ने किया था? क्या राम के किसी एक आदर्श को भी हमने अपने जीवन में अपनी प्रेरणा का स्त्रोत बनाया है?pragyahttps://www.blogger.com/profile/04688591710560146525noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-30334465110071629852010-10-19T16:35:27.606+05:302010-10-19T16:35:27.606+05:30anjane hi..shirshak hi bahut kuch keh gaya..!yahi ...anjane hi..shirshak hi bahut kuch keh gaya..!yahi to vidambna hai!!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-42716915053922217942010-10-18T01:33:22.839+05:302010-10-18T01:33:22.839+05:30Bahut achhe vicharon ka prastuti kiya aapne.... it...Bahut achhe vicharon ka prastuti kiya aapne.... itne sunder vichar sajha karne ke liye aabhar.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-31092143797915283992010-10-15T13:11:37.669+05:302010-10-15T13:11:37.669+05:30ठीक ही कहा भाई चोरी ,डकेती, बलात्कार , लूटपाट, यह ...ठीक ही कहा भाई चोरी ,डकेती, बलात्कार , लूटपाट, यह सब क्या रावणत्व के कारन नहीं है ।<br />अब तो दरख़्त पर कोई पत्ता हरा नहीं<br />दिल तज़गी-फरोश का फिर भी भरा नहीं। <br /><br /><b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। <br />सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।<br />शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोsस्तु ते॥<br />महाअष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/10/13.html" rel="nofollow"> स्वरोदय महिमा, “मनोज” पर!</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-49555382805650759622010-10-15T08:26:42.548+05:302010-10-15T08:26:42.548+05:30रावण चरों वेदों का ज्ञाता था| सिर्फ अहंकार से ही उ...रावण चरों वेदों का ज्ञाता था| सिर्फ अहंकार से ही उसका पतन हुआ|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6327690883637069180.post-62855709432082432382010-10-14T22:24:29.747+05:302010-10-14T22:24:29.747+05:30ज्ञान ,विद्या ,पराक्रम,भक्ति आदि चाहे व्यक्ति के प...ज्ञान ,विद्या ,पराक्रम,भक्ति आदि चाहे व्यक्ति के पास किसी भी हद तक क्योँ न हो अगर अहंकार हम में विद्यमान है तो हम शिखर पर होते हुए भी नीची सोच के कारण ऊंचाई को नहीं छु पाते ....<br /><br />सही कहा .....अहंकार मनुष्य को ले डूबता है .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com