12 मई 2011

वो आये और

जीवन एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है . हमारा जीवन कितना है इस बात को कोई भी नहीं जानता लेकिन फिर भी हम सब अपने - अपने ढंग से जीवन के लिए कुछ न कुछ निर्धारित करते हैं . कई बार हमें सफलता मिलती है तो कई बार असफलता लेकिन फिर भी हम अनवरत रूप से जीवन की गति को बनाये रखते हैं और यह होना भी चाहिए . जहाँ तक मैं अपने सन्दर्भ में बात करूँ एक ही बात बचपन से सोची है कि जीवन एक क्षण है हम जीवन को वर्षों , महीनों , सप्ताहों या फिर दिनों में नहीं बल्कि  क्षणों में जीते हैं और क्षण हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है ..किसी विचारक ने कहा है कि " हमें जीवन में क्षणों की चिंता करनी चाहिए मिनटों और घंटों की चिंता तो स्वतः ही हो जाएगी" इस विषय में मैंने जब भी सोचा है तो वक्त की महता सदा मेरे सामने रही है और इसलिए जितना संभव हो सकता है जीवन के हर पहलु को बड़ी संजीदगी से जीता हूँ और सदा खुश रहता हूँ . इस धरती पर रहते हुए जितने भी इंसानों से संपर्क कर पाऊँ और उनके सुख दुःख में शामिल हो पाऊँ इससे बड़ा क्या लक्ष्य जीवन का निर्धारित किया जा सकता है . बस एक कोशिश है जीवन को सफल बनाने की और उसी तरफ सदा उन्मुख रहता हूँ . इसलिए जहाँ पर भी जो भी कार्य करता हूँ वहां पर सबका सम्मान और आदर करने का दिल करता है और ब्लॉग जगत में भी यही कुछ करने के मन सदा रहता है . हालाँकि मैं अभी भी यह मानता हूँ कि मैं अभी बहुत छोटा हूँ ब्लॉगिंग की दुनिया में ..लेकिन आप सबका साथ प्यार और आशीर्वाद मुझे सदा मिला है और यही कामना है कि यह अनवरत रूप से मिलता रहे .

एक सुखद और प्रेरणादायक  अनुभव रहा हिंदी भवन दिल्ली  में हुए कार्यक्रम का . वहां मैं लगभग सभी ब्लॉगर्स से रूबरू हुआ . सभी से कुछ न कुछ सीखने को मिला और मेरी जिज्ञासा शांत होती रही . इस कार्यक्रम  में भाग लेने के लिए मैं  पहले ही दिल्ली पहुँच चुका था और वहां से मुझे वापिस धर्मशाला आना था, यह पहले की योजना थी ललित शर्मा जी ने भी दिल्ली आने के साथ साथ अपने धर्मशाला आने का कार्यक्रम तय कर रखा था और मेरे मन में बहुत उत्साह था उनके धर्मशाला आगमन को लेकर . एक मई की शाम को मैं कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंचा जहाँ पर ललित शर्मा जी के साथ राजीव तनेजा जी भी उपस्थित थे देखकर प्रसंता हुई और फिर हमने आगे का सफ़र शुरू किया 6:50 पर हमारी बस थी और हमने टिकट लिया लेकिन सीटें बहुत पीछे मिलीं मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ता यकीन ललित जी के बारे सोच कर थोडा अजीब भी लगा कोशिश तो मैंने  की लेकिन सफल नहीं हो पाया . खैर सफ़र तो तय करना ही था . हम मई की  सुबह धर्मशाला पहुँच गए और आगे का कार्यक्रम उस दिन का निर्धारित नहीं था सोचा था कि मेक्लोडगंज जायेंगे शाम तक लेकिन ललित जी चक्करदार रास्तों के चक्कर में फंस गए और सोये तो शाम तक उठ न सके . मैं तो आते ही नाश्ता करने के बाद अपने कार्यस्थल चला  गया था लेकिन जब आकर देखता हूँ तो ललित जी सो ही रहे थे खैर शाम को हम धर्मशाला शहर घुमने निकले लेकिन जल्द ही वापिस आ गए . 3 मई का कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया हाँ 4 मई  के लिए कार्यक्रम मैंने निर्धारित कर दिया था और उस विषय में मेरी बात हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला  के निदेशक से हो चुकी थी और उन्होंने अपनी सहर्ष अनुमति भी दे दी थी . 4 मई को हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला के हिंदी और पत्रकारिता विभाग द्वारा एक सेमीनार का आयोजन किया गया . जिसकी अध्यक्षता आदरणीय ललित शर्मा जी ने की . विषय था " हिंदी भाषा और न्यू मीडिया : संभावनाएं एवं चुनौतियां" . हिंदी और पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों के साथ - साथ  अंग्रेजी विभाग   के विद्यार्थियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई जो इस विषय और सेमीनार की महता को दर्शाता है . हालाँकि केंद्र में एक और कार्यक्रम की तैयारियां चल रहीं थी फिर भी हमारे पास जितना स्थान था भरा था . यह देखिये सेमीनार की चित्रमयी झलक :-
जय प्रकाश जी मंच सञ्चालन  करते हुए  
केंद्र निदेशक ललित शर्मा जी का स्वागत करते हुए
मैंने स्वागत किया केंद्र निदेशक डॉ . कुलदीप चंद  "अग्निहोत्री" जी का
ललित शर्मा जी और  डॉ . कुलदीप चंद  अग्निहोत्री जी चिन्तन करते हुए
केंद्र निदेशक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए 
ललित शर्मा  विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए

कुछ कहने की अपेक्षा सुनना बेहतर समझता हूँ 

सभी के विचारों को सुनते विद्यार्थी
प्रिंट मीडिया ने भी सराहा प्रयास को

सेमीनार में क्या कहा गया इस विषय पर आप ललित शर्मा की रिपोर्ट या फिर प्रिंट मीडिया में जो छपा हैं देख सकते हैं . 4 मई  को सेमिनार होने के बाद हम  मेक्लोडगंज की तरफ निकले और फिर 5 मई को हमने काँगड़ा के किले का दौरा किया 6 मई को हम नूरपुर किले को देखने के लिए गए और फिर 7 मई  को ललित शर्मा जी धर्मशाला से दिल्ली रवाना  हो गए . उनके धर्मशाला आगमन और उनके द्वारा किये गए कार्यों और ब्लॉगिंग पर की गयी चर्चा के कारण मुझे यह कहना है कि वह आये और मुझे बहुत कुछ सिखा गए और जब जाने लगे तो आँखों में आंसू आना स्वाभाविक ही थे ना ....!

53 टिप्‍पणियां:

  1. hi Ramji
    namaskar

    aapke shreshth vichar aapko yun hi pragati path par le jaaenge.thanks.

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  2. वाह ………आनन्द आ गया।

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  3. केवल राम जी आप होश में आ गए हैं,बड़ी प्रसन्नता मिली यह जानकर.आपने हर क्षण में जीने की जो बात कही वह बहुत अच्छी लगी.जो चित्र आपने लगाए उनमें आप वाले चित्र बहुत अच्छे लगे.यह कहना आपका बडप्पन है कि
    'हालाँकि मैं अभी भी यह मानता हूँ कि मैं अभी बहुत छोटा हूँ ब्लॉगिंग की दुनिया में ..लेकिन आप सबका साथ प्यार और आशीर्वाद मुझे सदा मिला है और यही कामना है कि यह अनवरत रूप से मिलता रहे.'

    आप प्यारे प्यारे से हैं,तो प्यार और आशीर्वाद की कमी कैसे रहेगी आपको.

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  4. चित्र सेमिनार की रिपोर्ट खुद ही बता रहे हैं

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  5. wah guru....:)
    aap to sach me bahut bade blogger ho:)

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  6. जितना संभव हो सकता है जीवन के हर पहलु को बड़ी संजीदगी से जीता हूँ और सदा खुश रहता हूँ . इस धरती पर रहते हुए जितने भी इंसानों से संपर्क कर पाऊँ और उनके सुख दुःख में शामिल हो पाऊँ इससे बड़ा क्या लक्ष्य जीवन का निर्धारित किया जा सकता है . बस एक कोशिश है जीवन को सफल बनाने की और उसी तरफ सदा उन्मुख रहता हूँ ............

    बहुत अच्छी कोशिश है इस जीवन को सफल बनाने की .. इनसे हमें भी प्रेरणा मिलती है... आपको कामयाबी के लिए ढेर सारी शुभकामनायें....
    चित्र बहुत ही अच्छे लगे और रिपोर्ट भी.
    नयापन अपने विचारों और रिपोर्ट दोनों को साथ में पेश करने का नया अंदाज़...

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  7. आपका यह प्रयास बेहद सार्थक है एवं अनुकरणीय भी ...
    बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं !

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  8. वाह वाह वाह ..क्या बात है. छा गए आप दोनों तो.

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  9. आपके सार्थक प्रयासों का परिणाम साफ़ झलकता है. शुभ कामनाएँ

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  10. केवलराम जी ....आपके विचार बहुत अच्छे हैं इसीलिए ये पोस्ट बेहद पसंद आई. आपके सुखमय भविष्य के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएँ.

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  11. सार्थक प्रयास, इण्टरनेट की शक्ति के बारे में विद्यार्थियों को भी पता चले।

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  12. आपका यह प्रयास बेहद सार्थक है| बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं|

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  13. आपकी निरंतर सक्रियता का कायल हूँ भाई केवल जी. दिल्ली, धर्मशाला और भाई ललित जी के लिए समय निकलना और उनका सान्निध्य बहुत अच्छा रहा होगा. वह भी धर्मशाला के खुशगवार मौसम में...... बधाई.
    अनेकानेक शुभकामनायें.

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  14. बेनामी12/5/11 10:32 pm

    bahut khoob
    aapka karya sarahniya hain
    umeed karta hun jald hi hame bhi bulayenge kisi aise hi karkram main

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  15. आपके व ललित जी के फोटो शानदार है
    इन्टर नेट के लाभ ही लाभ है
    गुरु व शिष्य दोनो को शुभकामनाये

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  16. बढिया चित्रों के माध्यम से संगोष्ठी की रिपोर्ट पर बधाई :)

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  17. केवल राम जी बहुत सुंदर लेख, ओर अति सुंदर चित्र, ओर ढेरो जानकारिया; सब बहुत अच्छा लगा, लेकिन आईंद एक बात का ध्यान जरुर रखे, इस सेमिनार मे आप हिंदी भाषा और न्यू मीडिया : संभावनाएं एवं चुनौतियां" के बारे यानि हिन्दी के बारे कह रहे हे,न्यू मीडिया अग्रेजी मे जंचा नही , दुसरा *इन्डियन मिडिया सेंटर* इस की जगह शुद्ध हिन्दी मे लिखा होता ओर इंडिया की जगह भारत लिख होता तो मुझे बहुत अच्छा लगता. ओरो का तो पता नही, इन बातो का बुरा लगे तो क्षमा करे, अपने मन की बात आप को बताई हे, ओर अगर हिन्दी को बढाना हे तो ज्यादा से ज्यादा हिन्दी लिखी जाये बिना अग्रेजी के सहारे के. धन्यवाद

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  18. संगोष्टी का सुंदर विवरण बहुत अच्छा लगा. ब्लाग्गिंग की खुशबू से कोई अछूता नहीं है. भाटिया जी की सलाह पर गौर किया जा सकता है.ब्लाग्गिंग और हिंदी के उत्थान आपका प्रयास भविष्य में भी जारी रहे.

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  19. सुंदर संस्मरण कहूं या बेहतरीन रिपोर्ट ...... उम्दा पोस्ट

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  20. बढ़िया रहा सब आपकी कलम से जानना!!

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  21. ललित जी में ब्‍लॉगरी से ज्‍यादा तो जिंदादिली है, वे आपको 'बहुत कुछ सिखा भी गए' फिर जब जाने लगे तो आँखों में आंसू आना, जमा नहीं.

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  22. भाई, ये बताओ कि ललित जी ने सेमीनार में झरने का उदाहरण दिया कि नहीं? मैं इसी एक बात को पढने के लिये पूरी पोस्ट पढ गया।
    और हां, ललित बन्दा जिन्दादिल है। अपन जिन्दादिल नहीं हैं, मुर्दादिल हैं। जब मैं धर्मशाला आऊंगा तो वादा करो कि किसी सेमीनार में नहीं ले जाओगे। अगर मुझे जरा सा भी आभास हुआ तो सुन लो, मैं भाग जाऊंगा।
    करो वादा।

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  23. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  24. भाई केवल रामजी,मेरी टिपण्णी कहाँ गई ?
    होश में आये तो मुझसे ही नाराजगी.चलो कोई बात नहीं इतना तो चलता है.

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  25. जीवन के प्रति सुन्दर सकारात्मक विचार... यात्रा संस्मरण और बेहतरीन रिपोर्ट वह भी सुन्दर से चित्रों के साथ... सब कुछ है यहाँ एक साथ.. सेमीनार की चित्रमयी झलक बहुत अच्छी है, लेकिन हमें तो " कुछ कहने की अपेक्षा सुनना बेहतर समझता हूँ " वाला चित्र बहुत अच्छा लगा...

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  26. आद.भाई केवल रामजी
    नमस्कार
    मेरे कमेंट्स कहाँ खो गए ...

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  27. इस पोस्ट से तो पुराने सारे कमेंट गायब हो गये!

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  28. जिंदगी के लिए हर क्षण बहुत महत्वपूर्ण है....
    सुंदर आलेख...

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  29. बहुत अच्छा संस्मरणात्मक आलेख।

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  30. हमारी तरफ़ से भी बधाई, एक के बाद एक सम्मेलन के लिये

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  31. रिपोर्ट अच्छी है और सभी फोटो भी बढ़िया हैं.

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  32. इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया १२ मार्च को ही लिख दी थी. किन्तु वह मिट गयी है. इतना ही लिखूंगा कि ईश्वर आपको हमेशा उर्जावान रखें. .........शुभकामनायें.

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  33. जीवन को क्षण में जीने की आपकी तमन्ना अच्छी लगी , पं. ललित शर्मा जैसे प्रतिभाशाली साहित्यकार के साथ आपने अपने जीवन के काफी महत्त्वपूर्ण क्षण व्यतीत किये .निश्चित रूप से आप धन्य हो गए . उन्हें जल्दी वापस छत्तीसगढ़ भेजिए लोग उनका सम्मान करना चाहेंगें .

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  34. बढ़िया रिपोर्टिंग। आंसू आने वाली बात जम नहीं रही। दोस्त मिलते हैं, बिछुड़ते हैं..और फिर कौन सदा के लिए बिछुड़े हैं..हैं ही.

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  35. ललित जी कि यात्रा बहुत बढिया रही | आपको उन के साथ बहुत कुछ सीखने का मौक़ा मिल गया | यह जानकार अच्छा लगा |आते हम भी कभी धर्मशाला |

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  36. achchha laga is report ko padhkar ,aese sthan me anubhav ko drishti milti hai aur kala nikharati hai ,hum wahan na hokar bhi aapke jariye bahut kuchh haasil kar liye .achchhi yaatra rahi .

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  37. धर्मशाला, मैक्‍लार्डगंज, कांगडा...... केवल जी आपने यादें ताजा कर दीं इन जगहों की....
    अब बात आपके संस्‍मरण की.... आपने सही कहा, सीखने मिले तो उस अवसर को छोडना नहीं चाहिए, जीवन सतत सीखने का नाम है....
    आप हों, ललित जी हों तो अच्‍छा ही अच्‍छा होगा...
    आपको बधाई अच्‍छे अनुभव के लिए

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  38. चित्रों से सजी रपट बहुत बढ़िया रही!
    सफल आयोजन के लिए बधाई!

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  39. मैं तो नहीं पहुँच पाया था हिंदी-भवन की बैठक में पर आपकी धर्मशाला की रपट अच्छी रही !

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  40. अच्छा लगा जानना ... बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...

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  41. क्या खूब लिखते हैं बड़ी सुन्दर लिखते हैं ....
    वाकई में उम्दा पोस्ट धन्यवाद|

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  42. बढ़िया संस्मरणात्मक रिपोर्ट !

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  43. केवल जी आप एक नेक और अच्छे विचारों वाले इंसान हैं. आप का सभी से प्रेम देख कर अच्छा लगता है.

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  44. ब्लॉग किसी इंसान को लोकल से ग्लोबल बनाता है यह सत्य है लेकिन सही माएने मैं ग्लोबल बन ना है तो सभी इंसानों को एक सामान समझते हुए, इन्साफ और इमानदारी के तराजू पे अपने शब्दों को तौलते हुए ब्लोगिंग करने की आवश्यकता है. जो ब्लॉगर ग्लोब तो कई टुकड़ों मैं बाँट दे उसका लोकल बना रहना ही उचित है.

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  45. सच में हलचल करने वाली पोस्ट.

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  46. बहुत बढ़िया सचित्र सार्थक आलेख प्रस्तुति के लिए आभार!

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.