01 दिसंबर 2010

प्यार और जीवन

1. अंतिम बार
जब तुमने
अंतिम बार
मेरे कमरे की
दहलीज से
बाहर जाते वक़्त
मेरे सिर पर
हाथ फेरते हुए
कहा था ....
कि
तुम सिर्फ मेरे लिए
और
मैं सिर्फ ...
तुम्हारे लिए
तब मुझे लगा था
मोहब्बत किसी , इबादत से कम नहीं ।
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

2 . अंतिम पहर
ज्यों अंतिम पहर के बाद
सुबह होती है
सूरज चढ़ता है
मुझे आभास है
मेरे जीवन के
अंतिम पहर के
बाद...
मुझे नया जीवन मिलेगा .
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx


3 . सांसे 
रिस रही हैं
सांसें
मुट्ठी में बंद
रेत की तरह
पर मुझे
भ्रम है ...कि
मेरी मुट्ठी में
अभी रेत बाकी है .
xxxxxxxxxxxxxxxxxx

69 टिप्‍पणियां:

  1. रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है ...

    कुछ शब्दों में ही जीवन के गहन दर्शन की अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर ..शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. केवल राम जी
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है
    सभी क्षणिकाएं बहुत ही सुंदर है...... बेहद गहरे भावों से भरी हुई

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  3. बहुत अर्थ पूर्ण बातें कही आपने ।
    रेत की तरह सांसे जिन्दगी के हाथ से फिसलती रही
    और हमें गुमा रहा बहुत सी जिन्दगियां है मेरे कदमों तले ।

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  4. केवल जी ,

    तीनों क्षणिकाएं बहुत ही सुंदर और भाव पूर्ण . चित्र बिल्कुल भावों से मेल खाते हुए..

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  5. आपकी तीनों क्षणिकाओं का जवाब नही!
    बहुत सुन्दर!

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  6. रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह

    बेहद प्रभावशाली कविताएं हैं...बधाई।

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  7. केवल राम जी
    क्षणिकाएँ बहुत अच्छी लगीं...खासकर सांसे...और अंतिम पहर...

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  8. केवल जी
    पांच बार पढ़ चूका हूँ पर मन ही नहीं भरता

    जवाब देंहटाएं
  9. रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है .
    अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है

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  10. बेनामी1/12/10 5:32 pm

    बहुत सुंदर क्षणिकायें, अंतिम पहर वाली क्षणिका तो पुनर्जन्म की गूढ अवधारणा है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. ये ज्ञान ध्यान की बाते,जीवन दर्शन की बाते,और आपकी उमर .....|

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  12. तीनो क्षणिकाए सुन्दर है
    एक नये बिंब से जीवन दर्शन

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  13. सुन्दर क्षणिकाएं ...
    साँसें ..सबसे अच्छी लगी.

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  14. मोहब्बत किसी , इबादत से कम नहीं ।

    रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है ...
    तीनो क्षणिकायें बहुत भावमय हैं। आखिरी तो दिल को छू गयी। बहुत बहुत आशीर्वाद।

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  15. बहुत सुंदर हैं तीनों ही क्षणिकाएं... बधाई.... मुझे ' साँसे ' सबसे ज़्यादा पसंद आई .......


    रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरहपर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है .......खूब

    जवाब देंहटाएं
  16. .

    एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं । आपकी कल्पना और लेखन की अद्भुत शक्ति को नमन ।

    .

    जवाब देंहटाएं
  17. मैं किस तरह तुझे देखूं नज़र झिझकती है
    तेरा बदन है कि ये आईनों का दरिया है

    जवाब देंहटाएं
  18. मैं किस तरह तुझे देखूं नज़र झिझकती है
    तेरा बदन है कि ये आईनों का दरिया है

    जवाब देंहटाएं
  19. तीनों क्षणिकाएं अच्छी हैं ...लेकिन अंतिम बहुत अच्छी ...
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है .

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ....बाकि को बाकी कर लें ...

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  20. ग़ज़ब केवल जी।
    एक दम गोली की तरह सट से आकर दिल पर लगती है।
    वाह!
    अद्भुत। सधी, कसी, प्रभावी क्षणिकाएं।

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  21. पांचवी लाइन ठीक करें केवल राम !
    यार तुम जवान भी हमारी तरह गलती करोगे तो गुस्सा आता है ! माफ़ी सिर्फ बुड्ढों को दी जाती है :-))
    शुभकामनायें

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  22. सुन्दर और भावना प्रधान क्षणिकाये . आभार

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  23. ज्यों अंतिम पहर के बाद
    सुबह होती है
    सूरज चढ़ता है
    मुझे आभास है
    मेरे जीवन के
    अंतिम पहर के
    बाद
    मुझे नया जीवन मिलेगा

    बहुत खूब

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  24. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  25. आप भी ताजगी महसूस कीजिएगा मेरी ताज़ा कहानी पढ़कर
    'रचना का अलबेला अरमान'
    इस शीर्षक से ख़ादिम ने दूसरी बार कुछ लिखने की कोशिश की है ।
    यह रचना अलबेला खतरीय जी की प्रतियोगिता में शामिल होने की ग़र्ज़ से लिखी गई है ।
    जब यह आपके सामने आए तो मेहरबानी करके इसे निन्दा या आलोचना का नाम न दिया जाए ।
    वर्ना मेरे शेख़चिल्ली को बहुत सदमा होगा ।
    उस बेचारे को पहले ही अपने अंडे फूटने का गम है ।
    मेरी कहानी में मेरा गधा भी है बिना गधी के । कहानी के अंत में गधा वह करने के लिए भागता है जो कि एक बिल्कुल अलबेला विचार है , पर किसी की मुराद भी है।
    रचना अनोखी और अछूती है । इसमें अलबेला को बिना किसी नक़ाब के आप सभी को दिखाया जाएगा । उनकी महानता और समझदारी को यह कहानी उजागर करती है ।
    रचना में ख़ुश्बू है , महक है तो अलबेला जी भी हरफ़न मौला हैं ।
    कामेडी और संस्पेंस के साथ ब्लाग संसार की गुदगुदाती सच्चाईयां ,
    बहुत जल्द होंगी आपके सामने .

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  26. बेनामी2/12/10 6:24 pm

    अरे! तुम तो बहुत प्यारा लिखते हो केवल!
    तीनो क्षणिकाएं बहुत सुन्दर पर....मेरे लिए प्रेम इबादत और ईश्वर का दूसरा नाम रहा है.इसलिए पहली क्षणिका जैसे मुझ तक आ कर ठहर गई और 'युग' बन गई.
    मैंने प्रेम गीत नही रचे किन्तु उसे जिया है इसलिए 'दिल को 'सचमुच' छू गई ' तुम्हारी ये पंक्तियाँ क्योंकि सचमुच ऐसिच हूँ मैं सिर पर हाथ मात्र धृ देने से प्यार की गहराई को समझ लेती है और भावुक हो उठती है.खूब खुश रहो.तुम्हारी रचनाओं का मुझे इंतज़ार रहेगा.
    एक बात बताओ 'लिखते हो या जीते हो ?'

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  27. केवल राम जी!क्षणिकाओं के इस तिरंगे के लिये क्या कहें, बस भावों ने बाँध कर रख लिया है और ह्र्दय की तरंगें बारबार कह रही हैं कि इस तिरंगे के आगे नतमस्तक हो जाओ!!

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  28. आदरणीय केवल जी,
    चरण स्पर्श...
    बहुत अच्छी पोस्ट | ऐसे ही लिखते रहिये |
    धन्यवाद..

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  29. प्रेम को बहुत करीब से महसूस करा गई यह कविता.. बहुत सुन्दर !

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  30. बहुत खुबसूरत है आपकी रचनाएँ ....सारगर्भित ...सत्यगर्भित..... आपको पढ़ना अच्छा लग रहा है . आपको शुभकामनायें ..

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  31. कुछ शब्दों में ही जीवन के गहन दर्शन की अभिव्यक्ति| बहुत बहुत शुभकामनायें|

    जवाब देंहटाएं
  32. सुन्दर भावाभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  33. रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है ...

    बहुत सुंदर...


    मुझे आभास है
    मेरे जीवन के
    अंतिम पहर के
    बाद
    मुझे नया जीवन मिलेगा
    गजब की पंक्तियां हैं...आशा और विश्वास से ही जीवन चलता है
    यहां तक लाने का शुक्रिया...आपका ब्लॉग भी फॉलो कर लिया....

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  34. भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है ...
    अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति...आपका साधुवाद

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  35. teeno kshanikayne bahut prabhavpurn hain lekin mujhe ye lines apne kareeb jyada lagi...
    रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है
    ...jiwan ke kshanbhangurta ko pratidhwanit karti yah pankiyan behad prabhavshali hain...

    जवाब देंहटाएं
  36. सभी क्षणिकाएं बहुत ही सुंदर है...... गहरे अर्थ छुपे हुए है सब मे....

    अंतिम पहर
    ज्यों अंतिम पहर के बाद
    सुबह होती है
    सूरज चढ़ता है
    मुझे आभास है
    मेरे जीवन के
    अंतिम पहर के
    बाद
    मुझे नया जीवन मिलेगा

    ये पन्तिया पढकर मुझे लगा ..जैसे आपका अध्यात्म की तरफ कुछ झुकाव है ....
    मेरे ब्लॉग पर आने व हौसला बढाने के लिए बहुत शुक्रिया ...

    जवाब देंहटाएं
  37. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं ... किसी एक को क्या कहूँ, सारी बेहतरीन हैं ..

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  38. Aapka post aur shavd bahut achha laga.Beautifully composed and expressed.Thanks.

    जवाब देंहटाएं
  39. सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई

    लेकिन केवल राम
    केवल एक कहा था काम
    वो भी भूल गए.......

    सिद्धपुर...?
    कमल छेत्री ....?

    जवाब देंहटाएं
  40. रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है ...

    जीवन दर्शन को शब्दों में बाँध लिया है .... लाजवाब क्षणिकाएं है सब ... गहरे अर्थ लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  41. कालजयी क्षणिकाएं !

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  42. kewal ji.bahut khoob
    antarman ki ke ahsaason ko bakhoobi dil se utara hai aapne panno par.
    bahut hi gahri avam prashanshniy abhivyakti.
    bahut bahut badhai.
    poonam

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  43. ye panktiyan man ko chhoo gain----
    रिस रही हैं
    सांसें
    मुट्ठी में बंद
    रेत कि तरह
    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  44. पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है ...
    ये भ्रम ही तो जीवन जीने की प्रेरणा होता है

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  45. बहुत सुंदर क्षणिकाएं हैं... बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  46. शानदार और उम्दा क्षणिकाएं हैं! बेहतरीन प्रस्तुती!

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  47. "सांसें" वाली कुछ अंतिम पंक्तियाँ काफी गहरी और सुन्दर लगीं..

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  48. अंतिम पहर
    ज्यों अंतिम पहर के बाद
    सुबह होती है
    सूरज चढ़ता है
    मुझे आभास है
    मेरे जीवन के
    अंतिम पहर के
    बाद
    मुझे नया जीवन मिलेगा ......


    बहुत ही आशावादी दृष्टिकोण.

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  49. Teeno "क्षणिकाएं" gahre bhav vaali hai.

    Lagta hai badi mehnat se aapne likha hai.


    Keval Ram Ji....Apke Blog par Akar bahut hi achha lagaa.

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  50. बेहतरीन क्षणिकायें.

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  51. अंतिम क्षणिका ने निशब्द कर दिया. बहुत सुंदर प्रभावशाली क्षणिकाएं हैं.

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  52. हृदय से निकली क्षणिकाएं बहुत ही सुंदर रूप सें प्रस्तुत की गयी हैं। आपका मेरे दूसरे संस्मरण पर इंतजार है।

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  53. "...बस तन्हाई में गुनगुनाना अच्छा लगता है.." जिंदगी का मज़ा भी तो इसीमे है कि हम सारे जहाँ के गम भुलाकर जियें, जी भर कर जियें. ......... इस सुन्दर रचना के लिए आभार.

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  54. यूं, अंतिम बार, अंतिम पहर अपनी साँसों को महसूस करना...
    वाह... बहुत खूब...

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  55. केवल जी नमस्कार...आज पहली बार आके ब्लॉग पर आना हुआ और यहाँ आकार आपके लेखन से परिचय हुआ. आपका लेखन बहुत परिपक्व है...भाव और भाषा पर आपका अधिकार स्तुत्य है...तीनों क्षणिकाएं उत्कृष्ट लेखन का नमूना हैं...बहुत अच्छा लगा आप को पढ़ना...लिखते रहें.


    नीरज

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  56. choti kintu bahut prabhavshali kavitaayen hain.. khas taur par dusri kshanika.. achcha laga aapke blog par aakar..

    जवाब देंहटाएं
  57. बेनामी7/12/10 7:42 pm

    जीवन के अनुभवों को उद्घाटित करती क्षणिकाएं ....अंतिम पहर , और सांसे का जबाब नहीं ...

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  58. बेनामी8/12/10 9:45 am

    पर मुझे
    भ्रम है ...कि
    मेरी मुट्ठी में
    अभी रेत बाकि है .

    bohot hi laajawaab

    जवाब देंहटाएं
  59. अंतिम पहर
    ज्यों अंतिम पहर के बाद
    सुबह होती है[Image]
    सूरज चढ़ता है
    मुझे आभास है
    मेरे जीवन के
    अंतिम पहर के
    बाद
    मुझे नया जीवन मिलेगा .

    pyari kshhanika...:)

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  60. सासें पढ़कर सांस रूक सी गई।
    ..बहुत बधाई।

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  61. केवल नाम ही काफी है फिर "राम" ही रहने देते या फिर "केवल" भी ठीक था....तारीफ कहाँ-कहाँ करूँ,समझ नहीं पा रही हूँ.. आपकी हर रचना का हर लफ्ज़ बहुत कुछ कह जा रहा है मुझसे..ये मेरा अपना व्यक्तिगत एहसास है!!रेत के हाथ से फिसल जाने के बाद भी कुछ रह जाता है...वो एहसास जिस पर "केवल" आप का हक होता है...और उसे आप से कोई जुदा नहीं कर सकता...बहुत कुछ है इन शब्दों के जाल में..बस आप "क्या" पढ़ रहे है आप पर निर्भर है...ऐसा मैं काफी रचनाओं को पढ़ने के बाद कह रही हूँ...इसलिए मेरी तरफ से धन्यवाद आपको !!!!!!

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  62. पूनम जी
    आपने जिस तरह से इन रचनाओं की तारीफ की है आपने सही कहा यह सोच पर निर्भर करता है कि...पढने वाला क्या पढ़ रहा है ...कविता हो या कहानी ...सबकी अपनी अपनी नजर होती है ....आपको इन रचनाओं में कुछ भाव नजर आया यह आपकी नजर है ....बस यूँ ही प्रोत्साहित करते रहना ...अपना अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करते रहना ...आपका शुक्रिया

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  63. Aadarneeya Ramji
    in kavitaon ke padhane ke baad bas itana hi kahoongee ki aapne apna naam sarthak kar diya..dhanya hai aap, 'YATHA NAAM TATHA GUN' Aur sath hi sradhy hai wah mata- pita ,jinhone aise sarvgunon se alankrit 'RAMJI' ko janm diya.

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.