27 नवंबर 2010

अच्छा लगता है


कुछ को दोस्त , कुछ को दुश्मन बनाना अच्छा लगता है
मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है ।

सिर्फ लफ्जों से वयां न हो
, कि अच्छे हैं हम
मुझे सोच में
, कर्म का कमाना अच्छा लगता है ।

दुनियां में दर्द -ए -दहशत फेलाने वाले हैं हर मोड़ पर
मुझे प्यार कि एक दुनिया बसाना अच्छा लगता है ।

तू खुद से बेखबर है , कि तू अंश "खुदा" का है
मुझे इंसान को "भगवान" समझना अच्छा लगता है ।

आज मंजिल -ए-महफूज का सहारा बन जाते हैं सब
मुझे तो गिरतों को उठाना अच्छा लगता है ।

राज -ए- हकीकत का क्या कहूँ , किस तरह
बस तन्हाई में गुनगुनाना अच्छा लगता है ।

दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
"केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है ।

62 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यंत सुन्दर रचना, मुझे इंसानियत निभाना अच्छा लगता है, प्रत्येक पंक्ति सार्थक,
    धन्यवाद.

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  2. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है
    ...........बहुत खूब, लाजबाब !
    पसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका. बहुत गहरी सोंच है

    जवाब देंहटाएं
  3. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है
    ...........बहुत खूब, लाजबाब !
    पसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका. बहुत गहरी सोंच है

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ को दोस्त , कुछ को दुश्मन बनाना अच्छा लगता है
    मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है ।
    एक उम्दा सोच। काश की सब ऐसा सोचते। बहुत अच्छी ग़ज़ल।
    मनोज .... फ़ुरसत में ..
    राजभाषा हिन्दी-पुस्तक चर्चा – हिंद स्वराज

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  5. क्या बात है केवल राम।
    गहरी सोच।

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  6. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है
    बेहतरीन भाव समेटे हैं पंक्तियाँ...... सुंदर सोच को बयां करती

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  7. .

    @--कुछ को दोस्त , कुछ को दुश्मन बनाना अच्छा लगता है
    मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है ...

    --------

    Hi Ram ,

    It's a beautiful creation. I very much liked it. All the couplets are soul stirring .

    Thanks.

    .

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  8. सुन्दर एवं अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति . आभार

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  9. कुछ को दोस्त , कुछ को दुश्मन बनाना अच्छा लगता है
    मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है ।

    सिर्फ लफ्जों से वयां न हो , कि अच्छे हैं हम
    मुझे सोच में , कर्म का कमाना अच्छा लगता है ।
    वाह केवल जी बहुत सार्थक और प्रेरक भाव हैं अगर दुश्मन न हों तो दोस्त की खूबियाँ भी पता नही चलती। और कुछ कहने से अच्छा कर्म कर के दिखाना ही होता है। सकारत्मक सोच के लिये बधाई बहुत ही अच्छी रचना है। आशीर्वाद।

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  10. बहुत सार्थक और अच्छी सोच ....सुन्दर गज़ल ..

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  11. बहुत बढिया
    बहुत पसन्द आयी
    दो पंक्तियां जोड रहा हूँ
    "दूसरों की खामियों को लोग भुनाते रहें,
    हमें तो अपनी कमियां गिनाना अच्छा लगता है"

    प्रणाम

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  12. सुधार कर बताईयेगा
    इन भावों (उपरोक्त पंक्ति) को कैसे कहा जाये

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  13. बहुत बढिया सन्देश देती कविता है |शायद ये ही सार्थक ब्लोगिंग भी है |

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  14. Insaniyat nibhane ke jajbe ko salam karata hun.Aapke udgar achhe lage. Insaniyat ki tasvir dekhne ke liye mere blog par aapka swagat hai.Good post.

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  15. बेहतरीन गजल
    आपका प्रस्तुति करने का अंदाज एकदम निराला है

    सिर्फ लफ्जों से वयां न हो , कि अच्छे हैं हम
    मुझे सोच में , कर्म का कमाना अच्छा लगता है ।

    सुन्दर एवं अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति

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  16. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है ।
    अच्छी सोच को प्रदर्शित करती रचना

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  17. सोच बहुत ही पाक है आपकी, इसे बनाए रखिये!

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  18. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है ।

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों को आपने पंक्तियों में ढाला है अनुपम प्रस्‍तुति ।

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  19. परिष्कृत सोच !सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  20. गहरी सोच बहुत खूब, लाजबाब ! !

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  21. दुनियां में दर्द -ए -दहशत फेलाने वाले हैं हर मोड़ पर
    मुझे प्यार कि एक दुनिया बसाना अच्छा लगता है .....
    बहुत प्रेरक और सार्थक प्रस्तुति..सभी अगर ऐसा सोचने लगें तो दुनिया का रूप ही बदल जाए..

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  22. प्रिय बंधु केवल राम जी
    जय राम जी की !
    बहुत तरक़्क़ी कर रहे हैं जनाब आप तो । अच्छे भावों को पिरोया है …
    मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है
    मुझे भी ।
    तन्हाई में गुनगुनाना अच्छा लगता है
    … लेकिन हम तो सार्वजनिक रूप से भी गुनगुनाते पाये जाते हैं … :)


    अच्छा कहने का प्रयास किया है ।

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  23. ... bahut khoob ... behatreen ... shaandaar gajal !!!

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  24. Good post keval ram jee@ jald hi aman ke paigham pe bhee is post ki jhalki dekheinge.

    aise vichaar kam hee padhne ko mila kerte hain.

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  25. नियां में दर्द -ए -दहशत फेलाने वाले हैं हर मोड़ पर
    मुझे प्यार कि एक दुनिया बसाना अच्छा लगता है.....

    यही शुभेच्छा हर इंसान की हो तो क्या बात है ...
    शुभ प्रेरक विचार !

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  26. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है

    एक सुन्दर सोंच के लिए बधाई

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  27. प्रथम मेरे ब्लॉग में अपने सौजन्य टीप के माध्यम से यहाँ तक आने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए शुक्रिया केवल भाई. ...
    बहुत अच्छी बातें कही हैं आपने ग़ज़ल में... बधाई.

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  28. P.S.
    केवल भाई.... आपके प्रोफाइल में आपका लोकेशन हिमांचल देख कर डलहौजी के अपने एक बहुत ही प्यारे मित्र इन्द्रदत्त शर्मा की याद आ गयी... आपका विशेष रूप से शुक्रिया...
    आपके ब्लॉग में ब्लोगेर मीट की तस्वीरें बड़ी अच्छी हैं.. आदरणीय बड़े भाई ललित शर्मा से बातें करने का सौभाग्य भी मिला है... उन्हें सदर नमस्कार.
    ... हार्दिक शुभकामनाएं.

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  29. 'केवल इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है',ऐसी सोच रखने वालों का मिट जाना नहीं अब डट जाना ही बेहतर है,नहीं तो फिर इस जहां में बचेगा ही क्या ?

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  30. केवल राम जी !
    चंलते चलते के नीचे लगी फोटो छोटी करें नहीं तो आधे ब्लागर बिना पढ़े ही चले जायेंगे ! पेज लोड होने में बहुत समय लगता है !वैसे भी यह फोटो कोई प्रभाव नहीं छोडती !

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  31. उम्दा ख्याल...
    डा.अजीत

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  32. सार्थक विचारोँ से ओत-प्रोत गजल बहुत ही शानदार हैँ।

    केवल राम जी आपके ब्लोग का पेज लोड होने मेँ बहुत समय लेता है। और मैँ तो मोबाईल से ब्लोगिँग करता हूँ , PC के लिए समय मिलता नहीँ। मुझे आपकी इस गजल को पढ़ने तथा टिप्पणी करने मेँ 49 Min.लगे हैँ अतः इससे आपके Visitors की संख्या पर प्रभाव जरूर पढ़ता होगा। कृपया इस समस्या का समाधान अवश्य करेँ और अपने ब्लोग को मोबाईल Friendly बनाने की कृपया करेँ।

    धन्यवाद!

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  33. कुछ को दोस्त और कुछ को दुश्मन नहीं , बल्कि सबको दोस्त बना सकें ,तो कितना अच्छा हो. इंसानियत का रिश्ता सभी से हो, और हम सब अजातशत्रु बनें , जिसका कोई दुश्मन नहीं होता , तो दुनिया की तस्वीर ही बदल जाए . गज़ल की कई पंक्तियाँ बहुत सुंदर और प्रेरणादायक हैं. बहुत-बहुत शुभकामनाएं .

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  34. राज -ए- हकीकत का क्या कहूँ , किस तरह
    बस तन्हाई में गुनगुनाना अच्छा लगता है ..

    पर राजे-हकीकत तो तन्हाई में भी नहीं गुनगुनाएं ... दीवारों के भी कण होते हैं ...
    अच्छी ग़ज़ल है ... लाजवाब शेर .

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  35. कुछ को दोस्त , कुछ को दुश्मन बनाना अच्छा लगता है
    मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है ।
    खूबसूरत सोच की खूबसूरत पंक्तियाँ.

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  36. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है ।.....बहुत खूब...ब्लॉग पर आने का शुक्रिया

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  37. उच्‍च विचार, उच्‍च सरोकार.

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  38. उदात्त एव गहन भावों को समेटे सुंदर संदेश देती, खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  39. कुछ को दोस्त , कुछ को दुश्मन बनाना अच्छा लगता है
    मुझे तो रिश्ता -ए-इंसानियत निभाना अच्छा लगता है
    .
    .
    बेहतरीन प्रस्तुति. सही कहा आपने .

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  40. बहुत सार्थक और संदेश देती गजल

    उस दिन समझेंगे हम खुद को इंसान
    जिस दिन लोग मुझे कहने लगेंगे भगवान

    और
    काश कभी गलती से भी ना करूँ मै ऐसा काम
    कि खुदा ये सोचे कि क्यों बनाया तुझे मैने इंसान

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  41. आभार
    हाँ मैं यही तो कहना चाहता था
    आप जिन्दगी में बहुत तरक्की करेंगें, और हम कहा करेंगें अरे केवलराम जी से तो हम मिल चुके हैं। शुभकामनायें

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  42. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है ।
    केवल साहब आपके ज़ज्बे को सलाम......
    वैसे बड़े प्रभावी तरीके से आपने अपने भावों को ग़ज़ल के रूप में व्यक्त किया है........!!!!!!!

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  43. ek insaan hone ka to matlab hi yahi hai ki gire huye ko uthaye aur insaniyat par mar-mit jaye .kavita ki har pankti sarahniy hai .likhte rahiye .shubhkamnaye !

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  44. बहुत अच्छी ग़ज़ल है। सुंदर रचना के लिए साधुवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  45. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी इस रचना का लिंक मंगलवार 30 -11-2010
    को दिया गया है .
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

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  46. बहुत सुंदर और सार्थक गजल, बहुत उम्दा. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  47. "केवल इंसानियत के लिए मिट जाना
    अच्छा लगता है"
    बहुत सुंदर भाव बधाई |
    आशा

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  48. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति भावनाओ की......सुन्दर ........

    आपको सुझाव देने जितनी समझ नहीं है अभी....ब्लोगिंग की दुनिया मे जादा समय नहीं हुआ समझने की कोशिश कर रही हूँ...........

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  49. इंसानियत की बात करने वाला कुछ को दुश्मन क्यों बनाना चाहता है?

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  50. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति. आभार

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  51. दुनिया की शान -ए -शोकत की नहीं परवाह मुझे
    "केवल" इंसानियत के लिए मिट जाना अच्छा लगता है ।
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  52. बेहतरीन भावना है कविता के पीछे...बहुत सुन्दर..

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  53. अच्छी भावपूर्ण रचना है।

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  54. केवल राम जी , आपने Tamplate मेँ जो बदलाव किये है , वह अच्छे हैँ । अब आपकी ब्लोग टेम्पलेट मोबाईल मेँ अच्छे से चल (Scroll) रही हैँ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

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  55. @>>> Dr (Miss) Sharad Singh जी
    उत्साहवर्धन के लिए आपका शुक्रिया ....!
    @>>> Dr. Ashok palmist blog जी
    आपके सुझाब के कारण ही यह संभव हो पाया है ...वैसे सतीश सक्सेना जी ने भी यही बात कही थी .. मैंने परिवर्तन कर दिए ...आपको असुबिधा हुई उसके लिए माफ़ी चाहता हूँ ...अपना मार्गदर्शन देते रहना ...ताकि जीवन सुंदर बन सके ....आपका बहुत -बहुत धन्यवाद

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  56. ब्लॉग या वेबसाइट से कमाओ हजारो रुपये...

    To know more about it click on following link...

    http://planet4orkut.blogspot.com/2010/08/blog-post_9159.html

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  57. केवल सुन्दर गजल ही नहीं ..... सार्थक , मानवतापरक , .....वाह!

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  58. बेनामी6/12/10 1:05 pm

    इस ग़ज़ल के प्रत्येक शेर में मानवता के भाव प्रवल रूप से भरे हैं ....अंतिम शेर आपकी ऊँची सोच को प्रदर्शित करता है ...शुक्रिया

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  59. सिर्फ लफ्जों से वयां न हो , कि अच्छे हैं हम
    मुझे सोच में , कर्म का कमाना अच्छा लगता है ।
    अपने जैसे ख्याल और कहीं देखकर बहुत ही अच्छा लगता है... सुन्दर, सकारत्मक सोच... शुभकामनायें

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.